अबोधता में संभव प्रेम की कुछ परिपक्व अभिव्यक्तियां
पुस्तक समीक्षा :
हिंदी की प्रेम कहानियां
कुछ शब्द अपने विस्तार के कारण इतने गूढ़ हो जाते हैं कि उनकी सरलता भी छलावा-सा प्रतीत होती है।...
सैकड़ों हाथों पर लगी मेंहदी, विजेताओं को मिला पुरस्कार ….देखें फोटो व वीडियो
मेंहदी प्रतियोगिता में दिखी प्रतिभा
बीकानेर। कला व संस्कृति हमारे जीवन का मूल आधार हैं। हमें अपनी विधाओं को आने वाली पीढिय़ों को भी सिखाना...
लक्ष्मीनारायण रंगा की नव प्रकाशित 11 पुस्तकों का लोकार्पण …देखें फोटो व वीडियो
ऋषि परम्परा के संवाहक है रंगा : चारण
बीकानेर। साहित्य की सभा विधाओं में सतत् सृजनशील वरिष्ठ साहित्यकार-रंगकर्मी एवं केन्द्रीय साहित्य अकादमी नई दिल्ली से...
शुभू पटवा : अब जब वे नहीं रहे
कुछ संकल्प थे, कुछ जिदें थीं, जीने के कुछ तौर-तरीके ऐसे जो दूसरों को अटपटे लगे, इन्हीं सब के चलते कुछ उनसे प्रभावित होते,...
हाथ बाहर निकाला और फेंक दिया कचरा, अब लगेगी लगाम …देखें वीडियो
अकादमी के सीइओ डॉ. पीएस वोहरा ने बताया कि सोशल ड्राइव कैम्पेन फॉर बीकानेर के तहत कार चालकों को एक यूनिक डस्टबीन नि:शुल्क वितरित किया जा रहा है।
आज पैली तारीख है
''आज पैली तारीख है बेटा! आज तो म्हारै दवाई ल्यायो हुयसी। अरे! म्हारा पिराण निकळ जासी! दिनड़ो तो माछली दाई तडफ़तो-तडफ़तो काढ दियो-पण रात...
ख़ुदा के वास्ते पर्दा न काबे से उठा ज़ालिम/कहीं ऐसा न हो यां भी...
यह शेर ग़ालिब का नहीं अन्तिम मुगल सम्राट बहादुर शाह 'जफ़र' का है और पहला मिस्रा यूँ है,'ख़ुदा के वास्ते जाहिद उठा पर्दा न...
आह को चाहिए इक उम्र असर ‘होने तक’ कौन जीता है तेरी जुल्फ के...
ग़ालिब का ये शेर क्या यूँ ही है या कुछ ग़फ़लत है? उनके जीते जी जो दीवान छपा उसमें यह शब्द 'होने' तक नहीं...
जाने-माने पत्रकार राजकिशोर नहीं रहे
राजकिशोरजी नहीं रहे। हिंदी पत्रकारिता में विचार की जगह आज और छीज गई। कुछ रोज़ पहले ही उन्होंने अपना प्रतिभावान इकलौता बेटा खोया था।पिछले...
कभी-कभार : अशोक वाजपेयी
कविता का काम रिकार्ड रखना नहीं है, पर वह किसी भी समय में मनुष्य होने का हिसाब ज़रूर रखती है
कविता मनुष्यता की सहज सहचर...
















