धर्मेन्द्र के लिए ‘यमला-पगला-दीवाना’ है बीकानेर का दर्शन सिंह

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बॉलीवुड के ही-मैन धर्मेंद्र के बारे में बताने की ज़रुरत नहीं है। पद्म भूषण धर्मेंद्र का जन्म 8 दिसंबर 1935 को धर्मेंद्र सिंह देओल के रुप में पंजाब के लुधियाना जि़ले के एक गांव नसराली के जट्ट परिवार में केवल किशन सिंह देओल और सतवंत कौर के यहां हुआ था। फि़ल्मफ़ेयर जीवनकाल सफलता पुरस्कार से अलंकृत धर्मेंद्र 83 साल की उम्र के बाद आज भी उतने ही उत्साहपूर्ण नजऱ आते हैं। जन्म दिवस की ढेरों बधाइयां और अनंत शुभकामनाएं।

कैसे आकाश में सूराख़ हो नहीं सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों… दुष्यंत कुमार की इन पंक्तियों को चरितार्थ किया है, बीकानेर के रेलवे से सेवानिवृत सरदार दर्शन सिंह ने जोकि 53 वर्षों से अपनी मोहब्बत को बड़ी शिद्धत के साथ अनवरत, अविरल निभाते आ रहे हैं।

दर्शन सिंह की धर्मेंद्र के प्रति आस्था और उनसे मिलने की चाहत कई बार मित्रों, सहकर्मियों और रिश्तेदारों में मजाक का सबब भी बन गई। लालजी होटल उस वक्त नहीं होता था और पास ही सरदार अंग्रेज सिंहजी की मशहूर दुकान थी। सरदारजी ने दर्शन सिंह को कई बार बहुत प्यार से समझाया किंतु दर्शन सिंह में तो अलग ही अलख थी। 18 दिसंबर 1984 को रेलवे में उनके साथी नारायण के साथ इतनी ज्यादा बहस हो गई कि दर्शन सिंह ने प्रण ले लिया कि अब धर्मेंद्र से मिल कर ही बीकानेर लौटना है, अन्यथा बीकानेर आना ही नहीं है।

24 दिसंबर 1984 का स्वर्णिम दिवस था और जुहू, मुंबई में धर्मेंद्र के घर के आगे अपने मित्र सरदार जीत सिंह के साथ दर्शन सिंह ने डेरा डाल दिया। काफी देर में धर्मेंद्र की गाड़ी आई और मिलन के उतावले दर्शन सिंह गाड़ी के आगे ही दण्डवत हो गए। गाड़ी किसी तरह रुक पाई।”‘सरदार मरना चाहता है क्या?” धर्मेंद्र को बोलना पड़ा। फिल्म हुकूमत की शूटिंग चल रही थी, सेट पर मिलने का वादा कर धर्मेंद्र चले गए। सेट पर शूटिंग चल रही थी और आम फेन्स की तरह दर्शन सिंह को भी पांच मिनट मिलने का समय दिया गया।

दर्शन सिंह की तपस्या को महसूस करते हुए धर्मेंद्र ने शूटिंग के हर ब्रेक में दर्शन सिंह को भरपूर समय दिया और मिलने-मिलाने का एक ऐसा दौर चला जो आज तक चल रहा है।

125 फिल्में फर्स्ट डे फर्स्ट शो

दर्शन सिंह ने पहली बार 1966 में अपनी भुआ के बेटे सुरजीत सिंह के साथ धर्मेंद्र की फिल्म ‘दिल ने फिर याद किया’ गंगा थिएटर में नाईट शो में देखी थी और फिर उन्हे तो मानो नशा चढ गया। दर्शन सिंह, धर्मेंद्र की आदाकारी, सुन्दरता और शरीर सौष्ठव से इतने प्रभावित हुए कि प्रतिदिन 1200 दण्ड पेलना प्रारंभ कर दिया 7 किमी दौडऩे लगे। उन्होने धर्मेंद्र की प्रत्येक फिल्म देखी है, कई तो कई बार देखी है, कई बार-बार देखी है।

उदाहरण के तौर पर दर्शन सिंह ने फूल और पत्थर 126 बार, आँखें 25 बार और शोले 70 बार देखी है। दर्शन सिंह ने दिल्ली जाकर धर्मेंद्र की 125 फिल्में फर्स्ट डे-फर्स्ट शो देखी है। दर्शन सिंह यूँ तो पल-पल धर्मेंद्र को याद करते है, किंतु धर्मेंद्र के लिए प्रतिवर्ष अमृतसर जाकर वाहे गुरु से उनके के लिए अरदास करना, गुरु प्रसाद और सरोपा लेना और जन्मदिवस पर पूर्ण श्रद्धा के साथ धर्मेंद्र तक पंहुचाना दर्शन सिंह के लिए किसी धार्मिक अनुष्ठान कम नहीं है।

धर्मेंद्र को मिला चार पीढिय़ों का प्यार

दर्शन सिंह की अटूट इच्छाशक्ति और निश्छल प्रेम ने अपने माता-पिता, भाई-बहन-पत्नी, पुत्र-पुत्री-पुत्रवधु-जवाईं और चौथी पीढी में धर्मेंद्र के प्रति अनुपम आस्था का संचरण किया है। दर्शन सिंह ने इन सबको धर्मेंद्र से साक्षात मिलवाया है। सरदार अंग्रेज सिंह भी उनकी लगन के दीवाने हो गए थे। प्रीतम सुथार (धर्मेंद्र स्टुडियो) सहित धर्मेंद्र के अनेक फेंस को ये धर्मेंद्र से मिलवा चुके हैं। धर्मेंद्र दूसरों के लिए सदैव अच्छा व्यवहार, सादगी और प्रेम-भाव रखते हैं। धर्मेंद्र के करोड़ों दीवाने अखिल विश्व में फैले हुए हैं किंतु बीकानेर से सांसद रहे धर्मेंद्र का बीकानेर और बीकानेर की जनता से बहुत गहरा लगाव है।

कुछ रोचक जानकारियां जो दर्शन सिंह ने बताई

धर्मेंद्र को भगवाल की तरह पूजने वाले दर्शन सिंह कहते हैं कि धर्मेंद्र की दीवानगी इन्हे उनका एनसाइक्लोपीडिया बना दिया। आश्चर्य की बात है कि जानकारियां बिना गूगल के बड़ी मेहनत से जुटाई गई है। कुछ दस्तावेजों की प्रतियां तो स्वयं धर्मेंद्र को इन्होने उपलब्ध करवाई है। धर्मेंद्र ने कुल 300 फिल्मों में काम किया। पहली फिल्म थी, दिल भी तेरा हम भी तेरे (1960) । 24 फिल्में ब्लैक एण्ड वाइट थीं। धर्मेंद्र ने 18 बार डबल रोल किया। धर्मेंद्र ने मीना कुमारी, सायरा बानो, शर्मिला टैगोर, मुमताज़, आशा पारेख रेखा, मौसमी चटर्जी, जीनत अमान, जया प्रदा और श्रीदेवी जैसी अभिनेत्रियों के साथ रोमांटिक हीरो के तौर पर काम किया लेकिन हेमा मालिनी के साथ उनकी जोड़ी को सबसे बेहतर माना जाता है, जिनके साथ उन्होने 48 फिल्में की। कुल 75 मे से 32 अभिनेत्रियों के साथ उन्होने केवल एक बार काम किया है। निरूपा रॉय 15 बार उनकी ऑन-स्क्रीन माँ बनीं। फिल्म इंडस्ट्री में अपना गुरू मानने वाले दिलीप कुमार के साथ वे एक ही फिल्म कर पाए। अपने सुख-दु:ख के साथी मनोज कुमार के साथ उन्होने तीन फिल्मों में काम किया है। उन्होने अशोक कुमार व अजीत के साथ 18-18, बलराज साहनी व दारा सिंह के साथ 8-8, प्राण के साथ 19, महमूद के साथ 14, राजेंद्र कुमार के साथ 5, राजेश खन्ना व संजीव कुमार के साथ 6-6, विनोद खन्ना के साथ 13, अमिताभ बच्चन व मिथुन चक्रवर्ती के साथ 12-12, शत्रुघन सिन्हा के साथ 19, राज बब्बर के साथ 10 और शक्ति कपूर, अमरीश पुरी, मदन पुरी तथा प्रेम चौपड़ा के साथ क्रमश: 27, 23, 19 तथा 18 फिल्मों में काम किया है। धर्मेंद्र 7 बार शेर से लड़े, 7 बार होली खेली, 80 बार ऑन-स्क्रीन मरे। वे 40 बार पुलिस ऑफिसर, 3 बार वकिल, 32 बार चोर/ बदमाश और 8 बार डाकू बने। धर्मेंद्र ने 35 फिल्मों में जीप और 12 में टैक्सी चलाई। वे ऑन-स्क्रीन ट्रेन में 40 बार चढे। धर्मेंद्र हमेशा राइट साईड में ही फोटो खिंचवाना पसंद करते है।

तुम्हे दिल से चाहा, तुम्हे दिल दिया है, ये वादा करो कि भूला तो न दोगे
तुम ही तुम हो मेरी निगाहों में लेकिन, निगाहों से मुझको गिरा तोन दोगे

संकलन- प्रदीप भटनागर

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