नापासर में स्थापित होगा गो-अभ्यारण्य

पांच करोड़ रुपए की आएगी लागत

बीकानेर। गोवंश के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए जिले के ग्राम नापासर में पांच करोड़ रुपए की लागत से गो-अभ्यारण्य स्थापित किया जाएगा, जिसमें वृद्ध, अपंग, निराश्रित एवं गो तस्करी से मुक्त करवाए गए गोवंश का संस्थागत स्तर पर उचित भरण पोषण, समुचित उपचार, संरक्षण एवं संवर्धन का कार्य किया जाएगा।

गोअभ्यारण्य प्रबन्धन समिति के चयन की पात्रता

संयुक्त निदेशक पशुपालन डॉ. अशोककुमार विज ने बताया कि राजस्थान गोशाला अधिनियम-1960 के अन्तर्गत पंजीकृत गोशाला अथवा गो सदन, पिंजरापोल एवं स्वायतशाषी संस्था की ओर से संचालित गोशाला अथवा गो पुर्नवास केन्द्र इस योजना के पात्र होंगे। संस्था पिछले तीन वर्षों में कम से कम 1 हजार से ज्यादा गौवंश निरन्तर रख रही हो एवं उक्त प्रकार के गोवंश के पालन-पोषण किए जाने का अनुभव हो।

गो-अभ्यारण्य संचालन के लिए आवेदक संस्था की वित्तीय स्थिति गत तीन वर्षों की ऑडिट रिपोर्ट के आधार पर सन्तोषप्रद एवं प्रगतिशील होनी चाहिए। संस्था के पास लगभग 50 लाख रुपए का बैंक बैंलेस होना चाहिए।

गोअभ्यारण्य संचालन के लिए सरकार की शतें

संस्था को राज्य सरकार की ओर से भूमि उपलब्ध करवाई जाएगी। इस पर गोवंश के लिए पशुबाड़े, चारा भण्डार, आवास व्यवस्था, पानी की टंकी, टयूबवैल, पानी की खैली, चारा ठाण, पशु चिकित्सा संस्था, चारदीवारी एवं गोपालक आवास आदि का नियमानुसार निर्माण अनुमोदित कार्यकारी संस्था की ओर से गो-अभ्यारण्य प्रबन्धन समिति की देखरेख में करवाना होगा।

आवंटित भूमि राज्य सरकार के ही अधीन रहेगी। गो-अभ्यारण्य प्रबन्धन की ओर से संधारित प्रत्येक गौवंश की पहचान के लिए टैग लगाना अनिवार्य होगा। चयनित आवेदक संस्था को गो-अभ्यारण्य प्रबन्धन के लिए विस्तृत कार्ययोजना संयुक्त निदेशक पशुपालन विभाग को प्रस्तुत करनी होगी, जिसमें भौतिक एवं वित्तीय प्रबन्धन का विस्तार से उल्लेख होगा।

संयुक्त निदेशक ने बताया कि गो-अभ्यारण्य विकसित करने के लिए आवेदक संस्था प्रबन्धन को राज्य सरकार (कलक्टर, बीकानेर) के साथ पांच वर्ष तक अभ्यारण्य को संचालित करने के सहमति पत्र (एग्रीमेन्ट) पर हस्ताक्षर करने होंंगे। आवंटित भूमि पर सृजित होने वाली परिसम्पतियों का स्वामित्व भी राज्य सरकार में निहित होगा।

चयनित संस्था की ओर से चयन होने के 15 दिन में 1 हजार गोवंश के साथ अभ्यारण्य शुरू करने की 6 महीने के भीतर आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित करनी होगी। राज्य सरकार की ओर से समय-समय पर गोवंश के हितार्थ जारी किए गए नियम-आदेशों की पालना करनी होगी।

 

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