बीकानेर : कहां है यातायात पुलिस (traffic police) ?

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traffic police

सरेआम आ रहे हैं नो एन्ट्री में भारी वाहन

बीकानेर। आबादी वाले इलाकों में भारी वाहनों का प्रवेश बन्द करने में यातायात पुलिस (traffic police) कितनी कारगर साबित हो रही है इसका अंदाजा यहां सरेआम दौड़ रहे भारी वाहनों को देख कर सहज ही लग जाता है। ‘मां लक्ष्मी’ की मेहरबानी से माल भरे भारी वाहन नो एन्ट्री समय में भी आबादी वाले इलाकों में धड़ल्ले से चले जा रहे हैं। हैरत तो यह है कि सड़क को सुरक्षित रखने और आमजन को (traffic police) यातायात नियमों का पाठ पढ़ाने वाले परिवहन विभाग और यातायात पुलिस इन भारी वाहनों को नो एन्ट्री जोन में जाने से रोकने की बजाय सिर्फ दोपहिया वाहनों के खिलाफ अभियान चला कर सरकार के राजस्व में और अपनी काली कमाई में ही वृद्धि कर रहे हैं।

गौरतलब है कि प्रशासन ने आबादी वाले इलाकों में भारी वाहनों के प्रवेश को सुबह सात बजे से रात दस बजे तक निषेध कर रखा है। इसके बावजूद शहर के अधिकांश आबादी वाले इलाकों में भारी वाहन धड़ल्ले से प्रवेश कर रहे हैं। गंगाशहर, रानीबाजार, उरमूल सर्किल, गंगाशहर रोड, पूगलफांटा, मुरलीधर व्यास कॉलोनी, नत्थूसर बास सहित कई ऐसे इलाके हैं जहां प्रशासन ने भारी वाहनों के प्रवेश पर दिन में रोक लगा रखी है। लेकिन प्रशासनिक रोक का असर यहां कभी दिखाई ही नहीं दिया। कहने को तो चूंगी नाकों व बायपास पर यातायात पुलिसकर्मी भी भारी वाहनों को शहर के भीतर नहीं जाने देने के लिए तैनात कर रखे हैं लेकिन देश में ‘मां लक्ष्मी’ की मेहरबानी का चलन होने की वजह से मुश्किल से मुश्किल कार्य भी आसानी से हो जाता है। भारी वाहनों के आबादी वाले इलाकों में आ जाने से कई बार सड़क हादसे भी हुए हैं जिनमें कई लोगों को जान भी गंवानी पड़ी है। भारी वाहनों की चपेट में आकर लोगों का घायल होकर अस्पताल पहुंचना तो रोजमर्रा का किस्सा हो गया है। इन सबसे वाकिफ होने के बावजूद प्रशासन आबादी वाले इलाकों में भारी वाहनों के प्रवेश पर पूरी तरह से रोक लगाने के लिए इच्छाशक्ति नहीं दिखा रहा है।

कई बार रोके रास्ते, किया गया विरोध

आबादी वाले इलाकों में भारी वाहनों से हुए हादसों के बाद क्षेत्रवासियों की ओर से कई बार रास्ता रोक कर प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन भी किया गया है। इसके बाद प्रशासन ने हाथों हाथ ट्रेफिक प्वाइन्ट स्थापित करने, स्पीड ब्रेकर बनाने, यातायात पुलिस (traffic police) कर्मी नियुक्त किए गए थे लेकिन ये सारे इंतजाम प्रशासन की बेपरवाही के कारण गौण हो गए, नतीजा आज भी आबादी वाले नो एन्ट्री जोन में भारी वाहन बेरोक-टोक आवागमन कर रहे हैं।

अवैध ट्रेक्टर ट्रोलियां भी हादसों का कारण

शहर में अवैध रूप से भवन निमार्ण सामग्री ढो रही ट्रेक्टर ट्रोलियां भी हादसों का प्रमुख कारण हैं। सड़क सुरक्षा सप्ताह के दौरान सुरक्षा रथ और सड़क सुरक्षा रैली निकाल कर अपने कार्य की इतिश्री समझने वाले परिवहन विभाग की ओर से शहर में हजारों की तादाद में अवैध रूप से चलाई जा रहीं ट्रेक्टर ट्रालियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। गौरतलब है कि ट्रेक्टर के पीछे लगी ट्रॉली को सिर्फ कृषि कार्यों के लिए ही स्वीकृति दी जाती है लेकिन इन ट्रोलियों में बजरी, ईंटें, कंकर आदि सामान ढोया जा रहा है। इन्हें रोकने के लिए परिवहन विभाग की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।

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