जिसे हम यूं ही फेंक देते हैं उसका पूरी दुनिया में अरबों रुपए का कारोबार है। खास बात तो यह है कि भारत और पाकिस्तान इसके प्रमुख निर्यातक हैं। और कोई कीमती चीज नहीं बल्कि वो हैं आपके केश ‘बाल’।
सुनने में भले ही अटपटा लग रहा है लेकिन मानव बाल भारत-पाकिस्तान की अर्थ व्यवस्था का मजबूत हिस्सा बनते जा रहे हैं। अमूमन हमरे घरों में टूटे बाल या सैलून में काटे गए बाल कूड़े में फेंक दिए जाते हैं। वहीं कुछ लोगों के लिए ये करोड़ों का कारोबार और कमाई का प्रमुख जरिया है।
पाकिस्तान ने तो पांच साल में मानव बाल के निर्यात से 1.6 मिलियन यूएस डॉलर ( भारतीय मुद्रा में 11,43,60,000 रुपये) का व्यापार किया है। यूएस और जापान, पाकिस्तान से प्रीमियम क्वालिटी के बालों के सबसे बड़े खरीदार हैं। ये देश इन बालों का इस्तेमाल अपने मनोरंजन उद्योग में करते हैं। वहीं चीन में कास्मेटिक उद्योग के बढऩे के साथ ही मानव बालों की मांग भी तेजी से बढ़ रही है।
र्ष 2017 के दौरान दुनिया भर में मानव बाल के निर्यात का कुल कारोबार तकरीबन 81.2 मिलियन यूएस डॉलर (भारतीय मुद्रा में लगभग 580 करोड़ रुपये) रहा था। इन बालों की मांग कोलकाता और चेन्नई में बहुत अधिक है। वहां इनका ट्रीटमेंट कर इन्हें चीन भेजा जाता है।
व्यापारियों के अनुसार पूरे देश में पैर पसार चुका बालों का कारोबार तकरीबन 30 हजार करोड़ रुपये तक का हो चुका है, जबकि मध्यप्रदेश में करीब 100 करोड़ रुपये के बाल हर साल बिक रहे हैं। बस शर्त यह है कि बाल कटे हुए नहीं, बल्कि कंघी से झड़े हुए हों और इनकी लंबाई 8 इंच से कम न हो।
कोलकाता में एक किलो बाल की कीमत 800 से 1200 रुपये तक है। होली से पहले इन बालों की कीमत 2000 रुपये प्रति किलो तक भी पहुंच जाती है, क्योंकि होली में रंगीन विग की डिमांड बढ़ जाती है। भारत में सैलून में कटे हुए बालों के साथ-साथ कंघी से झड़े हुए बालों की बिक्री का फीसद भी पिछले पांच सालों में काफी बढ़ा है। भारत में बालों के कारोबारी नमन जैन बताते हैं कि कंघी से झड़े बालों को ट्रांसप्लांट करना और इससे विग बनाना आसान होता है। इसीलिए इन बालों का कारोबार शुरू हुआ।
इन झड़े बालों को साफ करके एक तरह के कैमिकल में रखा जाता है। फिर इसे सीधा कर अलग-अलग डिजाइन के बिग बनाने के लिए उपयोग में लाया जाता है। वर्ष 2018 में एक नामी समाचार चैनल के कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बताया था कि वह तिरुपति मंदिर से रोजाना पांच ट्रक बाल खरीदते हैं।
इन बालों से उनकी फैक्ट्री में एमिनो एसिड आधारित माइक्रो न्यूट्रिएंट बनाया जाता है, जिसका खेती में प्रयोग होता है। इसकी एक बोतल की कीमत लगभग 900 रुपये होती है, जिसे वह किसानों को 300 रुपये में देते हैं। दुबई ने भी उन्हें 180 कंटेनर एमिनो एसिड का ऑर्डर दिया है, जिसकी आपूर्ति चरणबद्ध तरीके से की जा रही है। इस कार्यक्रम में नितिन गडकरी ने बताया था कि कटे हुए बालों से तैयार एमिनो एसिड से उन्हें सालाना 12 से 15 करोड़ रुपये का मुनाफा होता है, जबकि वह इसे लगभग लागत के खर्च पर ही बेच देते हैं।














