महिला थानों में काम कर रहे पुरुष थानाधिकारी
बीकानेर। राज्य सरकार नियम बनाती है लेकिन विभाग नियम तोडऩे में पीछे नहीं रहते हैं। यह कहावत पुलिस विभाग पर एकदम सटीक बैठ रही है। जहां राज्य भर के महिला थानों में महिला थानाधिकारी के बजाए नियम कायदों के विरुद्ध पुरुष थानाधिकारी काम कर रहे हैं।
इसके अलावा महिला थानों में आधे से ज्यादा पुलिस स्टाफ में भी पुरुष पुलिसकर्मी लगे हुए हैं। जिससे आने वाली महिला परिवादियों को अपनी बात बताने में काफी परेशानी और शर्म महसूस होती है। पुलिस रिकार्ड के अनुसार राज्य भर में इस समय 45 महिला थाने हैं। इनमें चार थाने ऐसे हैं जहां महिला थाना प्रभारी हैं।
जब दस साल पहले महिलाओं के उत्पीड़न के मामले जैसे दहेज प्रताड़ना, मानसिक प्रताड़ना, बलात्कार, छेड़छाड़ सहित महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों पर लगाम लगाने को समय पर कार्रवाई और उनकी बात अच्छी तरह सुनी जा सके, इसको लेकर महिला थाने बनाए गए थे।
उस समय नियम बनाया गया कि इन थानों में थानाधिकारी से लेकर ज्यादा से ज्यादा पुलिस स्टाफ महिला पुलिसकर्मियों का होगा जिसको ध्यान में रखते हुए महिला पुलिसकर्मियों की भर्ती भी की गई। लेकिन इन महिला थानों में सिर्फ राजधानी के दक्षिण और पूर्व जिला एवं हनुमानगढ़ जिले में ही महिला थाना प्रभारी लगी हुई हैं। बचे सभी थानों में पुरुष थानाधिकारियों ने कमान संभाल रखी है।
ऐसा नहीं है कि महिला थानाधिकारियों की कोई कमी है लेकिन उनको थाने पर लगाया नहीं जाता है। जबकि नियम यह है कि इन थानों पर महिला थानाधिकारी ही लगाए जाएं लेकिन लगाते नहीं हैं। जिससे थाने आने वाली महिलाओं को अपनी बात बताने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
कई महिलाएं तो पुरुष थानेदार को झिझक के चलते ही सच नहीं बता पाती हैं। जिसकी वजह से उन्हें न्याय भी नहीं मिल पाता है।
यहां भी महिला थाने में है पुरुष थानेदार
जानकारी के मुताबिक प्रदेश में 45 महिला थाने हैं। फिलहाल इनमें से सिर्फ चार महिला थानों में ही महिला थानाधिकारी तैनात हैं और बाकी में पुरुष थानेदार हैं।
बीकानेर स्थित महिला थाने में भी अभी पुरूष ही एसएचओ हैं। इससे पहले भी यहां पुरुष थानेदार ही थाने की बागडोर संभाल रहे थे। हालांकि उनका तबादला होने के बाद कुछ दिनों तक थाने की बागडोर महिला उपनिरीक्षक सुमन जयपाल ने संभाली थी। लेकिन अब फिर से पुरुष को ही थानेदार बनाया गया है।
जानकारी के मुताबिक इस थाने की स्थापना के दौरान जरूर यहां महिला पुलिसकर्मी को थानेदार बनाया गया था। इसके बाद वर्ष-2009-10 में भी महिला पुलिसकर्मी के हाथों में थाने की बागडोर थी लेकिन इसके बाद आज तक यहां किसी महिला पुलिसकर्मी को एसएचओ नहीं बनाया गया है।











