‘मोदी खड़े होकर राहुल गांधी से गले मिलते तो होती ऐतिहासिक घटना’
बीकानेर/जयपुर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को विदेशी यात्रा के दौरान नेताओं को और अपने पार्टी के सदस्यों को गले लगाते हैं लेकिन वह नजारा दुर्लभ ही होता है जब वे किसी कांग्रेस नेता को गले लगाए।
कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत उन नेताओं में अकेले हैं जिन्हें मोदी ने खुद आगे बढ़ गले लगाया था।
गहलोत का दावा है कि उन्होंने मोदी के गले लगाने को सकारात्मक तरीके से लिया था। लेकिन सरकार के अविश्वास प्रस्ताव पर बहस के दौरान संसद में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मोदी को गले लगाया तो उन्होंने इसे सही तरीके से नहीं लिया।
मोदी ने साल-2013 में गहलोत को तब गले लगाया था जब वे गुजरात के मुख्यमंत्री थे और गहलोत को चेहरा बनाकर चुनाव लड़ने वाली कांग्रेस को हार मिली थी।
यह मौका प्रदेश की मुख्यमंत्री के रूप में वसुंधरा राजे के शपथ ग्रहण समारोह का था। गहलोत स्टेज पर नेताओं से मिलने के लिए चढ़े तब मोदी कुर्सी से उठे और उन्हें गले लगाया।
जानकारी के मुताबिक इसके बाद गहलोत ने मीडिया को कहा था कि ‘मेरे तो हाथ ही नीचे रह गए थे। सोचा ये एकदम से क्या हो गया और लोग क्या सोचेंगे, लेकिन मुझे बुरा नहीं लगा क्योंकि मैंने सोचा यह स्नेह से किया हुआ काम है। मैंने यह नहीं कहा कि मोदी जी तो मेरे गले पड़ गए।’
राहुल गांधी भावुक होकर मोदी से मिलने गए, एक राष्ट्रीय पार्टी का अध्यक्ष चलकर उनके पास गया, यह एक शिष्टाचार है। वे अगर खड़े होकर राहुल गांधी से गले मिल लेते तो इतिहास की बहुत बड़ी घटना होती। लेकिन उन्होंने शिष्टाचार नहीं निभाया।
गौरतलब है कि लोकसभा में प्रधानमंत्री को गले लगाने के एक दिन बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा था कि प्यार और सहानुभूति के जरिये ही देश का निर्माण किया जा सकता है।
लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर हुई चर्चा का उल्लेख करते हुए राहुल गांधी ने कहा था कि प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में घृणा, भय और गुस्से का जिक्र किया। निश्चित ही उनके इस वक्तव्य से कुछ लोगों को प्रेरणा मिली होगी लेकिन कांग्रेस प्यार और सहानुभूति से इसका जवाब देना चाहती है।