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लूणकरणसर के नहरी इलाके में बेखौफ घूम रहा चीता अभी तक पकड़ में नहीं आया है,वन रक्षकों के साथ ग्रामीणों की टोली पिछले दो दिनों से उसकी तलाश में जुटी है। इस बीच सोमवार सुबह चक एक बीएचएम के एक खेत में दो चीतों के पदचिन्ह मिलने से वन रक्षकों की परेशानी बढ गई है।
इनके बड़ पंजे के साथ एक छोटे पंजे के निशान भी चिन्हित हुए है। आंशका जताई जा रही कि कोई मादा चीता अपने शावक के साथ इलाकें में घूम रही है। सोमवार को चक एक बीएचएम में मुखराम ब्राह़्मण के खेत में दो जानवरों के पद चिन्ह मिले। इसकी सूचना मिलने पर वन रक्षक विजयपाल मेघवाल,विजय सिंह,सुशीला,विरेन्द्र,गोविन्द राम और रमण पूनिया ग्रामीणों के साथ मौका स्थल पर पहुंचे और इलाके का मुआयना किया।
इस दौरान एक खेत में मोटर पंप ठीक करने आये मिस्त्री ने भी मुखराम ब्राह्मण के खेत में चीते को देखे जाने की पुष्टी की। वन रक्षक विजयपाल ने बताया कि पिछले दो दिनों से अज्ञात जानवर की मौजूदगी में चक एक बीएचएम में ही तस्दीक हो रही है,आंशका है कि अज्ञात जानवर ने इसी इलाके को अपनी शरणास्थली बना रखा है। हालांकि खेतों में मिल रहे पंजों के निशान चीते के लग रहे है।
विजयपाल ने बताया कि सोमवार को जिस खेत में पंजे के निशान देखने को मिले उसमें बड़े जानवर के साथ उसके बच्चे के पंजे भी चिन्हित हुए है। लगता है कि किसी मादा जानवर के साथ उसका कोई छोटा बच्चा भी शामिल है। जानकारी में रहे कि एक बीएचएम में रविवार शाम किसानों ने पैंथर के पदचिन्ह देखे।चक एक बीएचएम के दिनेश मांझू ने बताया कि रविवार शाम करीब चारन् बजे बाद बिजली आने से बेगराज गोदारा ने खेत में फव्वारे चलाए तथा 10-15 मिनट बाद बिजली जाने से फव्वारे बंद हो गए।
इसके बाद शाम करीब 4.30 बजे बेगराज खेत में फव्वारों की लाइन देखने गया। इस दौरान फव्वारे के पानी की छींटों के ऊपर से गुजरे पैंथर के पदचिन्ह दिखाई दिए। इसके बाद चक के काश्तकार विनोद कुमार पूनियां व श्योप्रकाश सारस्वत को बुलाकर दिखाया गया तथा पहले देखे गए पदचिन्ह भी एक समान नजर आए। पैंथर के चक 3 बीएचडी से होकर चारणा वितरिका की तरफ चले गए लेकिन पैंथर दिखाई नहीं दिया।
रात को निकलता है शिकार की तलाश में
चक एक बीएचएम के ग्रामीणों और काश्तकारों में से कईयों चीते को आंखों से देखे जाने की पुष्टी की है,लेकिन वन विभाग के अधिकारी फिलहाल अज्ञात जानवर के चीता होने से इंकार कर रहे है। ग्रामीणों-काश्तकारों ने बताया कि दिनभर झाडिय़ों में छुपा रहने वाला चीता रात को अंधेरा गहराने के बाद शिकार के लिये निकलता है। इसके खौफ से लोग शाम गहराते ही घरों में दूबक जाते है,पशु पालक भी चारों प्रहर अलर्ट रहते है। गांवों में चीते के खतरे वाली जगहों पर दिनरात निगरानी की जा रही है। किसानों ने बताया कि चीते को छुपने के लिए सरसों के खेत मददगार बने हुए है। खालों से या अन्य खाली जगहों से गुजरने से ही पदचिन्ह दिखाई दे रहे है।