कई दिग्गजों की प्रतिष्ठा इन चुनावों में दावं पर
बीकानेर thenews.mobilogicx.com बीकानेर की सातों विधानसभाओं में कई दिग्गजों की प्रतिष्ठा इन चुनावों में दावं पर लगी हुई है। खासतौर पर टिकटों के वितरण बाद तो दोनों पार्टियों के समीकरण ही बदल गए हैं।
सबसे पहले यदि देखें तो बीकानेर पूर्व विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस प्रत्याशी कन्हैयाल झंवर, भाजपा से सिद्धि कुमारी तथा निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर गोपाल गहलोत का मुकाबला है। अब देखा जाए तो कन्हैयालाल झंवर इन दोनों प्रत्याशियों के मुकाबले दिग्गज हैं और प्रतिष्ठा भी दावं पर इसलिए है की दो बार बड़े अंतराल से जीतने वाली सिद्धि कुमारी के सामने जीतना आसान बात नहीं है। भले ही झंवर नोखा में अपनी पकड़ मजबूत रखते हो लेकिन राजनीति के दावपेंच इन्हें भलीभांति आते हैं। भाजपा से सिद्धि कुमारी ने गत चुनाव बड़े अंतराल से जीता है। हा इस बार उन्हें खासी मेहनत करनी पड़ सकती है, फिर भी मुकाबला काटे का बताया जा रहा है। निर्दलीय प्रत्याशी गोपाल गहलोत भी खासी पैठ रखते हैं।
बीकानेर पश्चिम विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के डॉ. बीडी कल्ला, भाजपा से डॉ. गोपाल जोशी तथा निर्दलीय प्रत्याशी गोपाल गहलोत हैं। डॉ. बीडी कल्ला की दिग्गजता को कोई नकार नहीं सकता। दो बार विधायक, मंत्री के साथ ही पार्टी के पुराने सिपहसालार भी हैं। एकबारगी तो मुख्यमंत्री तक के दावेदार बताए जाने वाले डॉ. कल्ला को भाजपा के डॉ. गोपाल जोशी ने लगातार दो बार हराया है। इस बार फिर डॉ. कल्ला का सामना डॉ. गोपाल जोशी से है। डॉ. गोपाल जोशी के बारे में बताएं तो बड़ी उपलब्धि यही है कि दो बार बीडी कल्ला को हराया वहीं विधानसभा में सबसे ज्यादा मुद्दे उठाने में भी इनका नाम शुमार है। निर्दलीय प्रत्याशी गोपाल गहलोत पश्चिम विधानसभा क्षेत्र में माली समाज पर अधिक पकड़ रखते हैं तो ये भी डॉ. कल्ला को कड़ी टक्कर दे सकते हैं।
श्रीडूंगरगढ़ में मुकाबला काफी रोचक है। कांग्रेस से मंगलाराम गोदारा, भाजपा से ताराचन्द सारस्वत, निर्दलीय किशनाराम नाई व कॉमरेड गिरधारीलाल महिया ने मोर्चा खोल रखा है। इन चारों में यहां तीन दिग्गजों का मुकाबला बताया जा रहा है। मंगलाराम गोदारा की कांग्रेस में मजबूत पकड़ है वहीं जाट लॉबी भी इनके पक्ष में है। दूसरी ओर भाजपा के बागी बने निर्दलीय किशनाराम नाई हैं जिन्हें पार्टी से टिकट नहीं मिलने पर स्वतंत्र मोर्चा खोल रखा है। किशनाराम नाई अपनी दिग्गजता का फायदा उठाना चाहते हैं वहीं कॉमरेड गिरधारीलाल महिया काफी मजबूत प्रत्याशी हैं और इस बार वे सीधे तौर पर कड़ी टक्कर दे रहे हैं।
श्रीकोलायत में कांग्रेस से भंवर सिंह भाटी का भाजपा से पूनम कंवर भाटी के मध्य मुकाबला है। भंवर सिंह भाटी का प्लस प्वाइंट ये है कि इन्होंने मोदी लहर के बावजूद भाजपा के कद्दावर नेता देवी सिंह भाटी को हराया। वहीं इस बार देवी सिंह भाटी की पुत्रवधू पूनम कंवर उनके सामने है। देवी सिंह भाटी की प्रतिष्ठा भी इस बार दावं पर इसलिए है कि मुख्यमंत्री के नामों की फेहरिस्त में देवी सिंह भाटी का नाम जब-तब लिया गया था और राजपूत समाज पर अच्छी-खासी पकड़ होने के कारण जीतना इनके लिए भी शान का सवाल है।
नोखा में कांग्रेस से रामेश्वर डूडी, भाजपा से बिहारीलाल बिश्नोई व निर्दलीय मेघसिंह के बीच मुकाबला बताया जा रहा है। यहां भी मामला कुछ हद तक रोचक है क्योंकि इस बार मैदान में कन्हैयालाल झंवर नहीं हैं। झंवर होते तो मुकाबला और भी ज्यादा रोचक हो सकता था। डूडी अभी काफी चर्चा में रहे हैं और अपनी दिग्गजता टिकट वितरण के दौरान दर्शाई भी है। इनका नाम भी मुख्यमंत्री के चेहरों पर तीसरे नम्बर बताया जाता रहा है। कुछ भी हो फिलहाल इनका सीधा मुकाबला भाजपा के बिहारीलाल बिश्नोई से है। भाजपा के बिहारी बिश्नोई जाति व पार्टी के हिसाब से काफी मजबूत हैं। क्षेत्र में भी अच्छी पकड़ है।
लूणकरनसर में कांग्रेस के वीरेन्द्र बेनीवाल तथा भाजपा से सुमित गोदारा हैं। प्रतिष्ठा की बात करें तो यहां भी बेनीवाल की प्रतिष्ठा दावं पर लगी है क्योंकि भाजपा के सुमित गोदारा युवा भी हैऔर फिलहाल काफी सक्रिय हैं। बेनीवाल मंझे हुए खिलाड़ी हैं, पासा पलटने में भी माहिर हैं कुछ भी हो सकता है।
खाजूवाला में दिग्गज जैसी कोई बात नहीं फिर भी यहां कांग्रेस के गोविन्दराम मेघवाल तथा भाजपा के विश्वनाथ मेघवाल हैं। गोविन्दराम मेघवाल राजनीति व चुनावी गणित में उस्ताद बताए जाते हैं लेकिन बड़बोले रह चुके हैं जिसका खामियाजा भी भुगतना पड़ सकता है। भाजपा के डॉ. विश्वनाथ मेघवाल मुख्यमंत्री वसुंधरा के चहेतों की फेहरिस्त में हैं वहीं सीधे-सादे व साफ छवि होने के कारण लोगों के अजीज भी हैं। यही बड़ा कारण है कि गोविन्दराम मेघवाल को यहां अपनी प्रतिष्ठा बचाने के लिए बड़ा खेल दिखाना होगा।


















