मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में अमित शाह को गृहमंत्री बनाया गया है। अमित शाह अपनी चाणक्य नीति के लिए जाने जाते हैं। गृहमंत्री बनते ही सबसे पहले कश्मीर पर फोकस किया है।
परिसीमन जैसा गणित लाकर अमित शाह जहां पार्टी को फायदा पहुंचाएंगे वहीं, वर्षों से बड़ी समस्या का निस्तारण भी हल होने की संभावना है। उन्होंने पदभार संभालते ही कई मुद्दों को लेकर बैठक की, इनमें कश्मीर मुद्दा अहम रहा।
कश्मीर में आर्टिकल 370 और 35 ए को खत्म करने की सुगबुगाहट तो है ही, साथ ही खबर है कि केंद्र सरकार जम्मू कश्मीर में परिसीमन भी करा सकती है।
जिस रोज़ अमित शाह ने गृहमंत्री का काम संभाला था, उसी रोज़ उन्होंने जम्मू कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक के साथ बैठक की थी। जानकारी के मुताबिक, परिसीमन के लिए आयोग का गठन हो सकता है।
जम्मू कश्मीर में बीजेपी के नेता चाहते हैं कि जल्दी ही परिसीमन किया जाना चाहिए। जम्मू कश्मीर बीजेपी के अध्यक्ष कवींद्र गुप्ता का कहना है वह राज्यपाल को लिख चुके हैं कि राज्य में परिसीमन कराया जाए।
इससे राज्य के तीनों क्षेत्रों जम्मू, कश्मीर और लद्दाख क्षेत्र के साथ न्याय होगा।
गौरतलब है कि जम्मू कश्मीर विधानसभा में कुल 111 सीटें हैं. मगर जम्मू कश्मीर में सिर्फ 87 सीटों पर ही चुनाव होते हैं। जम्मू कश्मीर के संविधान के सेक्शन 47 के मुताबिक 24 सीटें खाली रखी जाती हैं.
खाली की गईं 24 सीटें पाक अधिकृत कश्मीर के लिए खाली छोड़ी गईं थीं। जानकारों की मानें तो इस गणित से बीजेपी को सीधा फायदा होगा।
जम्मू क्षेत्र में 37 विधानसभा सीटें हैं. 2014 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी यहां 25 सीटें जीती थी. जम्मू क्षेत्र में बीजेपी का दबदबा है। अगर परिसीमन हुआ तो खाली पड़ी 24 सीटें जम्मू क्षेत्र में जुड़ेंगी।
बीजेपी को लगता है कि परिसीमन से उसे फायदा होगा। कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती परिसीमन को सांप्रदायिक आधार पर राज्य को बांटने के तौर पर देख रही हैं।
उन्होंने ट्वीट किया, जम्मू-कश्मीर में विधानसभा क्षेत्रों को फिर से तैयार करने की भारत सरकार की योजना के बारे में सुनकर परेशान हूं। बेवजह का परिसीमन राज्य के एक और भावनात्मक विभाजन को सांप्रदायिक आधार पर भड़काने का एक स्पष्ट प्रयास है। भारत सरकार पुराने घावों को भरने की अनुमति देने के बजाय कश्मीरियों का दर्द बढ़ा रही है।