नालंदा में परिसंवाद : अन्य समाजों के लिए उदाहरण है पुष्करणा सावा

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Bikaner / thenews.mobilogicx.com

पुष्करणा समाज के सामूहिक विवाह सावे के अवसर पर युवा पीढ़ी में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा की भावना के साथ अपने इतिहास अपनी समृद्ध परम्परा से रूबरू करवाने के प्रमुख उद्देश्य के साथ ही समाजवादी सकारात्मक सोच एवं सामूहिकता की पावन भावना हेतु पुष्करणा विकास मंच द्वारा पांच दिवसीय साहित्यिक-सांस्कृतिक पुष्करणा महोत्सव का आज शाम ‘सृजन-सदन’ नालंदा परिसर में समाजसेवी बी.जी. बिस्सा एवं शिक्षाविद् मदनमोहन व्यास के आतिथ्य में दीप प्रज्जवलन कर भव्य शुभारंभ किया गया।

उद्घाटन समारोह में बिस्सा ने कहा कि ऐसे आयोजन का महत्वपूर्ण योगदान होता है क्योंकि इसी के माध्यम से युवा पीढ़ी अपनी परम्परा-संस्कृति के प्रति अपना और गहरा रिश्ता बना पाती है।

मदनमोहन व्यास ने कहा कि ‘सावे’ पर होने वाली सभी प्रतियोगिताएं जहां एक ओर प्रतिभाओं को मंच प्रदान करती है वहीं इसके माध्यम से समाज की युवा पीढ़ी में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा की भावना को भी बल मिलता है।

उद्घाटन अवसर पर आयेाजित ‘परिसंवाद’ ‘सावा तब और अब’ पर वैचारिक संवाद हुआ जिसकी अध्यक्षता करते हुए साहित्यकार कमल रंगा ने कहा कि ‘सावा’ हमारी सांस्कृतिक पहचान तो है ही साथ ही नगर के अन्य समाजों के लिए एक उदाहरण भी है।

समारोह के संयोजक हरिनारायण आचार्य ने अपनी बात रखते हुए कहा कि समाज गतिशील कार्यक्रमों से आगे की ओर बढता है समय की मांग के अनुसार धन और समय की बचत के लिए ऐसे आयेाजन आवश्यक है।

प्रमुख प्रभारी राजेश रंगा ने कहा कि इतिहास की भौतिकवादी व्याख्या करने वाली काल माक्र्स से भी पूर्व पुष्करणा समाज समाजवादी विचारों से ओतप्रोत था समय की गति को पहचानने की समाज में अभूतपूर्व क्षमता थी उसी का परिणाम है सामूहिक युवा पद्धति।

वरिष्ठ संस्कृतिकर्मी शिवशंकर भादपाणी ने कहा कि सावा आर्थिक रूप से सामाजिक रूप से पूर्णत व्यवहारिक है। हमें इसके प्रति अपनी अपनी भूमिका निभाते हुए इस परम्परा को ओर मजबूती देने की जरूरत है।

महोत्सव के सहसंयोजक योगेश व्यास ने कहा कि लगभग 13 शताब्दी से निरन्तर चलती आ रही इस गौरवशाली परम्परा को मजबुती प्रदान करने में युवा वर्ग की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है।

परिसंवाद में व्यापक चर्चा हुई जिसमें अपनी सकारात्मक भूमिका निभाते हुए सुनील व्यास, योगेश व्यास, योजना आचार्य, कुसुम किराडू, हेमलता व्यास, आशीष रंगा, निर्मला व्यास, दिनेश व्यास, राहुल आचार्य, पुनीत कुमार सहित अनेक युवाओं ने कहा कि ‘सावा’ और अधिक समृद्ध हो युवा पीढ़ी इस सामाजिक परम्परागत उत्सव में अपनी भूमिका निभाएं एवं युगानुकूल कुछ परिवर्तन की समाज हित में हो।

परिसंवाद का संचालन मदनमोहन व्यास ने किया एवं सभी का आभार रमेश हर्ष ने ज्ञापित किया। प्रभारी राजेश रंगा ने बताया कि महोत्सव के दूसरे दिन 14 फरवरी 2019 नालंदा स्कूल में दोपहर 1 बजे भाषण प्रतियोगिता रखी गई है। जिसका विषय ‘सामाजिक दायित्व और युवा’ रहेगा। और सजातीय युवा पीढ़ी के सहभागियों को 4 से 5 मिनट का समय दिया जाएगा।

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