स्क्रीनिंग कमेटी को प्रस्ताव भेजे जाने की बात आ रही सामने, दिग्गजों की बढ़ी परेशानी
बीकानेर। तीन महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में अपनी जीत की संभावनाओं को पुख्ता करने के लिए कांग्रेस दागियों को टिकट नहीं देने की सोच रही है।
कांग्रेस की इस सोच को लेकर राजनीति से जुड़े लोगों को मानना है कि कांग्रेस सत्तारूढ़ भाजपा को अपने ऊपर आक्रमण करने का कोई मौका नहीं देना चाहती है।
राजनीतिक सूत्रों के अनुसार प्रदेश में तीन महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस अपने प्रत्याशियों के नामों की घोषणा में इस बार राजनीतिक-शुचिता पर पूरी गंभीरता के साथ अमल करने जा रही है। इसी कड़ी में कांग्रेस पार्टी ऐसे किसी नेता को इस बार टिकट नहीं देने पर विचार कर रही है, जिसके खिलाफ किसी सरकारी एजेंसी में जांच चल रही है।
राज्य में हुए उपचुनाव में जिस तरह कांग्रेस पार्टी ने एकतरफा विजय पाई उस विजय को आगे जारी रखने के लिए पार्टी प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनावों में किसी भी तरह का रिस्क लेना नहीं चाहती है।
कांग्रेस बड़े सोच समझकर निर्णय ले रही है कि कहीं बाजी उल्टी ना पड़ जाए। इसलिए जिन नेताओं, पूर्व मंत्री, पूर्व विधायकों के खिलाफ किसी सरकारी एजेंसी में जांच चल रही है, उसका टिकट कट सकता है।
माना जा रहा है कि विधानसभा चुनावों में पार्टी ऐसे उम्मीदवार को टिकट देकर अपनी छवि नहीं बिगाड़ना चाहती है या किसी भी तरह से विवाद में नहीं पड़ना चाहती है।
पार्टी का मानना है कि भले ही उम्मीदवार जिताऊ हो या कोई पार्टी का बड़ा चेहरा हो लेकिन उसके खिलाफ किसी सरकारी एजेंसी में जांच जारी है या लंबित है तो उसे टिकट नहीं दिया जाएगा।
विश्वस्त सूत्रों बताया कि सचिन पायलट, अशोक गहलोत, अविनाश पाण्डे, सीपी जोशी और भंवर जितेन्द्रसिंह ने एक प्रस्ताव बनाकर स्क्रीनिंग कमेटी की चेयरपर्सन कुमारी शैलेजा को भेजा है।
जिसमें सभी का कहना कि पार्टी की मजबूत स्थिति को देखते किसी भी तरह का खतरा न लेते हुए पार्टी के जो बड़े चेहरे हैं जिनके खिलाफ किसी भी सरकारी एजेंसी में जांच चल रही है या लंबित है उसे टिकट नहीं दिया जाए।
कई दिग्गजों पर लटकी तलवार
ऐसी परिस्थिति में पार्टी के कई पूर्व विधायक और पूर्व मंत्रियों पर गाज गिरना तय माना जा रहा है। भले ही उम्मीदार सीनियर हो या जीतने वाला हो लेकिन ऐसे में उसे टिकट न देकर पार्टी साफ छवि वाले उम्मीदवार पर दावं खेलना चाह रही है।