कर्मचारी बना रहे दबाव तो आश्वासनों से लुभा रही सरकार
जयपुर। इस शासन के आखिरी साल में सरकार से अपनी मांगों को मनवाने की लगातार कोशिशों में कर्मचारी नेता लगे नजर आ रहे हैं और सरकार कर्मचारी हितैषी होने का संदेश देने के जतन में जुटी दिखाई दे रही है। सही मायनों में कहा जाए तो चुनावी साल में कर्मचारी राजनीति परवान पर है।
सूत्रों के मुताबिक चुनावी साल में कर्मचारी संगठनों से जुड़े नेता और सरकार के मंत्री पिछले काफी समय से वार्ता-वार्ता खेल रहे हैं। कर्मचारी नेता ये संदेश देने की कोशिश में हैं कि कर्मचारी हित में जो भी बन पड़ा है, सरकार से झटकने में कसर नहीं छोड़ी जा रही है। वहीं मंत्री बातचीत में कर्मचारियों के लिए दरियादिली का संदेश देते रहे हैं, लेकिन व्यवहार में उनकी मांगों को लम्बा खींचते दिखाई दे रहे हैं। इसके पीछे रणनीति यह बताई जा रही है कि कर्मचारियों को महसूस होना चाहिए कि सरकार उनका कितना ध्यान रख रही है। इससे यह भी उम्मीदें लगाई जा रही हैं कि चुनाव में कर्मचारी भी सरकार का पूरा ध्यान रखेंगे।
अधिकारियों की मंशा पर उठाए जा रहे सवाल
जानकारी के मुताबिक मुख्यमंत्री के निर्देशों के बावजूद कार्मिक विभाग कर्मचारी संगठनों से हुई बातचीत की पालना रिपोर्ट सीएमओ तक नहीं पहुंचाई गई है। कर्मचारियों के कुछ संगठन इस मुद्दे को लेकर अधिकारियों की मंशा पर सवाल खड़े कर रहे हैं तो कुछ संगठन इसे अधिकारियों और सरकार के बीच सांंठगांठ मान रहे हैं। बताया तो यह भी जा रहा है कि चुनाव की घोषणा से पहले सरकार संगठनों से हुई वार्ता को लेकर कोई घोषणा पत्र जारी कर सकती है।
कर्मचारियों के लगातार हो रहे धरने-प्रदर्शन
देखा जाय तो पिछले कुछ महीनों में सरकार के खिलाफ कर्मचारियों के विभिन्न संगठनों की ओर से कई धरने-प्रदर्शन किए गए हैं। चुनावी वर्ष होने की वजह से विभिन्न कर्मचारी संगठन अपनी सभी मांगों को लेकर सरकार पर दबाव बनाते दिखाई दे रहे हैं। शिक्षक, नर्सिंगकर्मी, मंत्रालयिक, न्यायिक, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी, रोडवेजकर्मी, संविदाकर्मी सहित अन्य कर्मचारी सरकार को घेरने में ही लगे नजर आए हैं।