रात तीन बजे तक डटे रहे निगम के सफाईकर्मी
बीकानेर। सोमवार को हुई बारिश के बाद सड़कों पर सैलाब नजर आया। शहर की अधिकांश सड़कोों पर यातायात मानों थम सा गया। जगह-जगह हुए जलभराव की वजह से लोगों का अपने घर पहुंचना भी मुश्किल हो गया।
निगम के सफाई कर्मियों ने तकरीबन आठ-नौ घंटों तक सूरसागर और करणी माता मंदिर के पास मशक्कत की, तब कहीं जाकर सड़कों पर आये पानी से छुटकारा मिल सका।
हैरानी की बात तो यह है कि ना महापौर नारायण चौपड़ा इस दौरान कहीं नजर आए, नगर निगम के आयुक्त। अन्यथा ऐसी परिस्थितियों के लिए सीधे उत्तरदायी निगम आयुक्त होते हैं।
जबकि नगर विकास न्यास अध्यक्ष करीब आठ बजे ही सूरसागर पहुंच गए और वहां के हालात देख कर उन्होंने तुरन्त न्यास की जेसीबी को मौके पर लाने के लिए कर्मचारी को फोन कर दिया।
मौके पर पहुंची जेसीबी ने सूरसागर के पास बने चैम्बर पर लगी लोहे की जाली को करीब सात-आठ घंटे तक उठाए रखा।
इसके बाद नगर निगम की दो जेसीबी और मौके पर पहुंची और उन्होंने भी वहां के चैम्बर पर लगी लोहे की जाली को जेसीबी के पंजे के जरिए उठाए रखा, तब कहीं जाकर सड़कों पर भरा बरसात का पानी उतर सका।
अधिकारी के नाम पर दो सेनेट्री इंस्पेक्टर्स ही थे रात को मौजूद
सड़कों पर जमा हुए बरसाती पानी को निकालने के लिए सूरसागर के पास जब निगम के सफाईकर्मी जुटे थे, उस दौरान निगम के अधिकारियों के नाम पर सिर्फ दो सेनेट्री इंस्पेक्टर अनोप भाटी और बीजी व्यास ही मौके पर मौजूद रहे। ये दोनों अधिकारी रात को तकरीबन तीन बजे तक सफाई कर्मियों के साथ अपने काम में जुटे रहे थे।
मौके पर मौजूद लोगों में इस बात की चर्चा थी कि आधी रात को सफाईकर्मी चार-चार फीट पानी और सिल्ट में खड़े रहकर काम करने में लगे हैं तो मौके पर हालात देखने के लिए निगम आयुक्त को आना चाहिए था।
उनके आने से काम में लगे सफाईकर्मियों का भी हौसला बढ़ता लेकिन जनता द्वारा चुनकर भेजे गए महापौर ने भी आपदा के समय में भी आमजन की सुध लेने की जहमत नहीं उठाई।
रात 12 बजे सफाईकर्मियों के लिए पहुंचा खाना
सूरसागर के पास शाम से ही सफाईकर्मी बरसाती पानी को निकालने में जुटे थे। मौके पर मौजूद नगर निगम के दो सेनेट्री इंस्पेक्टर्स वहां कार्य कर रहे तकरीबन दो दर्जन से ज्यादा सफाईकर्मियों के लिए भोजन की व्यवस्था की।
इससे पहले सफाई कर्मियों में मायूसी सी थी कि वे भूखे-प्यासे रह कर काम कर रहे हैं। इसके बावजूद भी निगम का बड़ा अधिकारी उनकी सुध लेने नहीं पहुंचा है।
रात 12 बजे सेनेट्री इंस्पेक्टर्स वहां खाना लेकर पहुंचे और उन्होंने वहां मौजूद सभी सफाईकर्मियों, जेसीबी चालकों को बुलाकर खाना खिलाया। इसके बाद सभी कर्मचारी दोगुनी गति से अपने काम में जुट गए।
जगह-जगह पसरी नालों से निकली सिल्ट
स्वच्छ भारत में अपनी रैंकिंग में आए उछाल को लेकर खुद की पीठ थपथपाने वाले महापौर और निगम अधिकारियों की पोल सोमवार को आई बारिश ने खोल कर रख दी। सफाईकर्मियों की मेहनत से सड़कों पर जमा बरसात का पानी तो निकल गया लेकिन नालों में जमी सिल्ट सड़कों पर पसर गई।
जूनागढ़ से लेकर सूरसागर के पास स्थित करणीमाता मंदिर तक सिल्ट मंगलवार सुबह तक पड़ी रही। वहीं गिन्नाणी में केशरिया हुनमान मंदिर के सामने, पास के चौराहे, गायत्री शक्तिपीठ से लेकर करणीमाता मंदिर तक की सडक़ पर छह से आठ इंच तक की सिल्ट पसरी हुई थी।
इसके अलावा भी शहर के बहुत से इलाकों में नाले-नालियों से सिल्ट निकल कर सड़कों पर पसरी रही। हैरानी की बात है कि इस बार नगर निगम की ओर से नाले-नालियों की सफाई ही नहीं करवाई गई।