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लापरवाही कहें या करतूत कुछ भी कहें लेकिन मानवीयता को पूरी तरह समाप्त कही जाने लगी है राजधानी की नारायणा अस्पताल। लगातार लापरवाही कर रही इस अस्पताल में 12 अप्रेल को देर रात फिर एक नया काण्ड कर दिया।
बताया जा रहा है कि 12 अप्रेल को अजमेर की पार्वती देवी को भर्ती करवाया गया जिसकी इलाज के दौरान मौत हो गई। फिर शव की प्रतीक्षा रातभर परिजन रहे लेकिन उन्हें शव सुबह सौंपा गया। हैरत की बात यह है कि इंतजार के बाद जब शव मिला तो वह पार्वती देवी का शव नहीं था। परिजन भड़क गए लेकिन उनके पास इंतजार और न्याय की गुहार के अलावा कोई चारा नहीं रहा।
सबसे बड़ी बात तो यह है कि जिनको मृतका पार्वती देवी का शव दिया गया वे शव लेकर भरतपुर से आगे भी निकल गए। अब मृतका पार्वती देवी के परिजनों को रातभर इंतजार के बाद अब फिर इंतजार करना पड़ा। सवाल यह है कि लापरवाही की हद देखिए… क्या शव देने से पहले पूरी तरह जांच नहीं हुई, शव देने में जो अस्पताल इतनी लापरवाही कर रहा है वह इलाज में कितना गंभीर रहता होगा यह इसी घटनाक्रम से जाहिर होता है।
एक महीने में नारायण अस्पताल में यह दूसरी लापरवाही की घटना बताई जा रही है। इससे पूर्व आपको बता दें कि राजधानी के नारायणा अस्पताल के चिकित्सकों की ऐसी लापरवाही, जिसने एक बुजुर्ग को जीवनभर के लिए अपंगता का दंश दे दिया। जी हां, ये कोई हमारा आरोप नहीं, बल्कि लालसोट के श्यामपुरा निवासी राजाराम मीणा की पीड़ा है। चिकित्सकों की कथित लापरवाही के चलते एक तरफ जहां एक पांव गंवा चुके राजाराम के परिवार में पिछले एक पखवाड़े से दुख का पहाड़ टूटा हुआ है।
चिकित्सकीय लापरवाही के चलते एक पैर गंवाने वाले लालसोट के श्यामपुरा निवासी साठ वर्षीय राजाराम मीणा के लिए अब सिर्फ बिस्तर ही ठिकाना बन गया है। दरअसल, राजाराम को दाये पैर की अंगुली में दर्द की दिक्कत थी, जबकि दूसरा पांव ठीक था। राजाराम एक उम्मीद लेकर नारायणा अस्पताल पहुंचे, जहां चिकित्सकों ने उन्हें एजियोप्लास्टी की सलाह दी।
मीणा के बेटे मुकेश की मानें तो एंजियोप्लास्टी के बाद बुजुर्ग पिता राजाराम के बाये पैर ने भी काम करना बन्द कर दिया। चिकित्सकों ने शिकायत की तो कहा गया कि दवाओं से कुछ दिनों में ठीक हो जाएगा। आरोप ये है कि चिकित्सकों ने बगैर किसी उपचार के राजाराम को तीन दिन बाद छुट्टी दे दी। परिजन उन्हें इस उम्मीद में घर ले गए कि एक-दो दिन में सब ठीक हो जाएगा, लेकिन हुआ इसके बिल्कुल उलट। 1.80 लाख रुपए खर्च करने के बावजूद राजाराम को उपचार के नाम पर मिली है अपंगता का दर्द।