मंत्रियों ने पांच साल में सार्वजनिक नहीं की सम्पति

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प्रदेश की पिछली सरकार ने इस नियम का किया था पूरी तरह से पालन, मौजूदा सरकार के मंत्रियों ने नियम को उड़ाया हवा में।

बीकानेर। प्रदेश की मौजूदा भाजपा सरकार के मंत्रियों ने पांच वर्ष के अपने कार्यकाल में अपनी संपति का ब्यौरा सार्वजनिक नहीं किया, जबकि केन्द्र सरकार के नियम के अनुसार सरकार के हर मंत्री को प्रतिवर्ष अपनी सम्पति का ब्यौरा सार्वजनिक करना होता है।

जानकारी के मुताबिक केन्द्र में यूपीए सरकार के समय वर्ष-2010 में एक नियम बनाया गया था, जिसके तहत सभी केन्द्रीय व राज्य सरकारों के मंत्रियों को हर वर्ष 31 अगस्त तक अपनी सम्पति का ब्यौरा सार्वजनिक करना होता है।

प्रदेश की पिछली कांग्रेस सरकार ने इस नियम का पूरी तरह पालन किया और हर वर्ष मंत्रियों और मुख्यमंत्री की सम्पति सार्वजनिक की गई। इसके लिए राजस्थान सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग की वेबसाइट पर अलग से लिंक दिया गया था।

इस पर हर वर्ष मंत्रियों और उनके जीवनसाथी की सम्पति और आयकर रिटर्न का ब्यौरा होता था, लेकिन मौजूदा सरकार ने इस नियम का पालन एक बार भी नहीं किया। मंत्रियों ने या तो सम्पति की जानकारी ही नहीं भेजी, भेजी तो पूरी नहीं भेजी और सरकार ने इसे कभी सार्वजनिक नहीं किया।

सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग की वेबसाइट पर सम्पत्तियों वाले लिंक तो मौजूद हैं, लेकिन इस पर आज भी पूर्व मंत्रियो की सम्पति का ब्यौरा ही है और इसका शीर्षक संशोधित कर पूर्व मंत्रियों की सम्पति के ब्यौरा कर दिया गया है।

नियमानुसार सम्पति का ब्यौरा लेने के लिए कैबिनेट सचिवालय को भी मंत्रियों को बार-बार स्मरण पत्र भेजने पडे। कैबिनेट सचिवालय के रिकॉर्ड के अनुसार अब तक 13 कैबिनेट मंत्री, पांच स्वतंत्र प्रभार वाले राज्यमंत्रियों और 6 राज्यमंत्रियों ने सरकार के रिमांइडर के बाद एक या दो बार सम्पति का ब्यौरा भेजा, लेकिन पूरे पांच वर्ष तक किसी भी मंत्री ने जानकारी नहीं भेजी। वहीं तीन केबिनेट और एक राज्यमंत्री तो ऐसे रहे, जिन्होंने एक बार भी सम्पति की जानकारी सरकार को नहीं भेजी।

यह देनी होती है जानकारी

मंत्री को अपने और अपने जीवनसाथी की परिसम्पतियों, देयताओं और व्यापारिक हितों की जानकारी देनी होती है। इस ब्यौरे में सभी अचल सम्पति, शेयर-डिबेंचर, नकदी, आभूषण की कुल अनुमानित कीमत बतानी होती है। मंत्री बनने के बाद उसे और उसकी पत्नी को व्यापार और कार्यों के प्रबंधन-स्वामित्व छोडऩे की जानकारी शामिल होती है।

अब चुनाव में देना पडेगा ब्यौरा

सरकार के ये मंत्री पांच साल तक किसी तरह बचे रहे, लेकिन अब चुनाव लडऩे के लिए इन्हें अपनी और पूरे परिवार की सम्पति का ब्यौरा देना पडेगा। यह जनकारी नामांकन पत्र के साथ ही देनी पड़ेगी। तभी सामने आ पाएगा कि पांच वर्ष में मंत्रियों की सम्पति कितनी बढ़ी या कम हुई है।

 

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