सियासी अखाड़े में कई समाज, कांग्रेस-भाजपा की बढ़ी परेशानी

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विधानसभा चुनाव

इस बार होने वाले विधानसभा चुनाव में प्रदेश के कई समाजों ने कांग्रेस और भाजपा को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया है। पार्टियों से ज्यादा सियासत प्रदेश की कई जातियां और समाज करते नजर आ रहे हैं।

बीकानेर। अमुमन यह देखने में आता रहा है कि चुनाव के दौरान पार्टियां ही जातियों और समाजों पर सियासत करती थी लेकिन इस बार के चुनाव काफी अलग होते दिखाई देंगे। इस बार चुनाव से पहले प्रदेश की कई जातियों और समाजों ने कांग्रेस और भाजपा, दोनों पार्टियों में अपनी-अपनी संख्या के आधार पर सीटें देने का एलान कर दिया है। जिससे दोनों ही पार्टियों की परेशानियां बढ़ती नजर आ रही है।

जानकारी के मुताबिक अब तक तो प्रदेश में मीणा, गुर्जर, राजपूत, जाट समाज को ध्यान में रख कर प्रत्याशियों की घोषणा की जाती देखी गई थी लेकिन इस बार विधानसभा चुनाव से ऐन पहले वैश्य, माली, ब्राह्मण, कुम्हार प्रजापति सहित कई जातियों और समाजों ने अपने-अपने समाज को पर्याप्त प्रतिनिधित्व देते हुए प्रत्याशियों को चुनाव मैदान में उतारने की मांग कांग्रेस-भाजपा के सामने रख दी है।

राजनीति से जुड़े लोगों के मुताबिक माली समाज ने प्रदेश में 26 विधानसभा सीटों पर अपने समाज के प्रत्याशियों के लिए दावेदारी ठोकी है। माली समाज ने टिकट वितरण में जनसंख्या को आधार मानते हुए दोनों पार्टियों को चेताया है कि यदि कांग्रेस-बीजेपी ने समाज का ध्यान नहीं रखा तो वे लोकसभा और विधानसभा चुनाव में नुकसान उठाने के लिए तैयार रहे।

वहीं कुम्हार प्रजापति समाज ने 35 विधानसभा सीटों पर 50 हजार से ज्यादा मतदाता होने का दावा करते हुए 10 विधानसभा क्षेत्रों में समाज के लोगों के लिए टिकट मांग की है। उधर गुर्जर समाज ने भी हुंकार भरते हुए कांग्रेस और बीजेपी दोनों की टिकट मांगने की बात कही है।

इससे पहले अल्पसंख्यक वर्ग भी उचित प्रतिनिधित्व देने की मांग कर चुका है। आज वैश्य समाज ने भी अपने प्रत्याशियों को चुनाव मैदान में उतारने की बात दोनों पार्टियों के सामने रख दी है।

गौरतलब है कि जाति, धर्म आदि से ऊपर उठकर देश हित में सोच रखने का कहने वाले और आमजन से राष्ट्रीयता की बात कहने वाले नेता सत्ता के लालच में खुद ही लोगों को बांटने के काम में लगे दिखाई दे रहे हैं।

फिलहाल तो दोनों ही पार्टियों के आला नेता प्रत्याशी चयन प्रक्रिया में व्यस्त हैं लेकिन आने वाले दिनों में यह सामने आ जाएगा कि प्रदेश में अब किस प्रकार जाति और समाज के आधार पर सियासत की जाएगी।

 

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