मौसमी बीमारियों को लेकर संभाग स्तरीय समीक्षा आयोजित
बीकानेर। मलेरिया-डेंगू के नोटिफाइड डिजीज में शुमार होने से सरकारी हो या निजी चिकित्सालय, डायग्नोसिस से लेकर इलाज तक सूचनाएं सिस्टम तक पहुंचना अनिवार्य हो गया है।
नीति आयोग की ओर से रिपोर्टिंग व मीडिया स्कैनिंग द्वारा इनकी मॉनिटरिंग की जा रही है। इसलिए मलेरिया-डेंगू की रोकथाम व रिपोर्टिंग को नियमावलियों के अधीन किया जाना आवश्यक है।
चिकित्सा निदेशालय के अतिरिक्त निदेशक ग्रामीण स्वास्थ्य डॉ. रवि प्रकाश माथुर ने उक्त निर्देश देते हुए सितंबर महीने में मलेरिया-डेंगू सहित अन्य मौसमी बीमारियों पर विशेष अभियान की रूपरेखा साझा की। डॉ. माथुर शुक्रवार को स्वास्थ्य भवन सभागार बीकानेर में मौसमी बीमारियों की संभाग स्तरीय समीक्षा बैठक ले रहे थे।
उन्होंने नीति आयोग द्वारा एस पी एल फॉर्मेट की समीक्षा पर भी प्रकाश डाला। एसएनओ आईडीएसपी डॉ. सत्यनारायण धौलपुरिया ने स्पष्ट किया कि एंटी एडल्ट गतिविधियों में शामिल फॉगिंग अभियान केवल सरकार के नियमों के अधीन ही संचालित किए जाएं।
उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों से निजी व पीएचईडी जल स्रोतों की अधिकाधिक सैंपलिंग और नियमित रिपोर्टिंग निर्देश दिए। डॉ. धौलपुरिया ने सितंबर महीने में सघन आईईसी व एंटी लारवा गतिविधियां आयोजित करने के निर्देश देते हुए स्पष्ट किया कि यदि इस महीने वेक्टर पर प्रभावी नियंत्रण कर लिया तो आगे आसानी रहेगी।
उन्होंने संभाग के चारों जिलों की प्रेजेंटेशन के माध्यम से मलेरिया-डेंगू मौसमी बीमारियों की रोकथाम गतिविधियों की समीक्षा की और आवश्यकतानुसार सुधार के निर्देश दिए।
बैठक में डिप्टी सीएमएचओ डॉ. इंदिरा प्रभाकर, उपनिदेशक मलेरिया डॉ. निर्मला शर्मा, राज्य डाटा मैनेजर अनिल जीनगर, संयुक्त निदेशक बीकानेर संभाग डॉक्टर हरबंस सिंह बराड़ सहित चारों जिलों के सीएमएचओ, डिप्टी सीएमएचओ स्वास्थ्य, पीएमओ, एपिडेमियोलॉजीस्ट व डाटा मैनेजर शामिल रहे।











