सरकारी योजनाओं को गर्त में मिला रहे सरकार के कारिन्दें

कलक्टर कार्यालय में धरने पर बैठे स्कूल के बच्चे

बीकानेर। प्रदेश में शिक्षा को बढ़ावा देने वाली सरकारी योजनाओं को सरकार के कारिन्दें ही गर्त में मिलाने में लगे नजर आ रहे हैं। ऐसा ही एक मामला कई दिनों से कोलायत क्षेत्र के खींदासर गांव में देखने को मिल रहा है।

यहां प्रशासनिक अधिकारियों की हठधर्मिता और स्वार्थ के चलते पचासों बच्चे स्कूल जाने से वंचित रह रहे हैं।

पिछले महीने की 27 तारीख को भी खींदासर गांव से आए बच्चे कलक्टर कार्यालय के सामने कक्षा लगा कर धरने पर बैठे थे।

उस दिन इन्हें आश्वासन देकर वहां से चलता कर दिया गया कि स्कूल का रास्ता खोल दिया जाएगा लेकिन स्कूल आने-जाने का रास्ता नहीं खुला तो ये बच्चे आज फिर से कलक्टर कार्यालय के सामने धरना लगा कर बैठ गए।

धरने पर बैठे बच्चों के अभिभावकों का कहना है कि 29 जून को न्यायालय ने आदेश दिया था कि बच्चों के लिए स्कूल का रास्ता खोला जाए, लेकिन कोलायत तहसीलदार अपनी हठधर्मिता के चलते इस आदेश की पालना नहीं कर रहा है।

अभिभावकों ने बताया कि स्कूल जाने का रास्ता नहीं खुला तो पिछले गुरुवार को कोलायत तहसील कार्यालय के सामने धरना दिया गया था, तब कोलायत तहसीलदार ने धरने पर आकर आश्वासन दिया कि सोमवार को रास्ता खुलवा देंगे। लेकिन आज तक भी रास्ता नहीं खोला गया है।

इस प्रकार तहसीलदार की ओर से खुलेआम न्यायालय के इस आदेश की धज्जिया उड़ाई जा रही है और मुख्यमंत्री की मुहीम को पलीता लगाया जा रहा है।

गौरतलब है कि परेशान करने वाली इस उमस में बच्चे धरने पर बैठ कर जिले के मुखिया से गुहार लगा रहे हैं कि उन्हें स्कूल जाने का रास्ता दिलवा दीजिए जिससे वे अपनी पढ़ाई कर सकें।

जबकि सरकार शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न प्रकार की योजनाएं चला रही है और मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे तथा उनकी सरकार बच्चों को सरकारी स्कूलों से जोडऩे के लिए हर प्रकार की कोशिशों में जुटी हैं।

 

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