पुलिस के लिए चुनौती बने ‘गैंग्स ऑफ राजस्थान’

कुछ गैंगस्टर्स जेलों में हैं बंद, गुर्गे चला रहे हैं उनकी गैंग्स

बीकानेर। पिछले दिनों सीकर जिले के फतेहपुर में हुई पुलिस इंस्पेक्टर और हवलदार की हत्या के मामले ने प्रदेश में पनप रहे आपराधिक गैंग्स का फिर से खुलासा कर दिया है।

प्रदेश में दस वर्षों में आठ से भी ज्यादा गैंग्स पनप चुकी हैं, जिन्होंने पुलिस को चुनौती देकर उसकी नाक में दम कर रखा है। इनमें से कुछ गैंग संचालकों को पुलिस ने सलाखों के पीछे भी डाल दिया लेकिन फिर भी ये हत्या की सुपारी ले रहे हैं, अपहरण करवा रहे हैं, बड़ी वारदातों को करवा रहे हैं।

ऐसे बनी गैंग्स

जानकारी के मुताबिक अपराध की दुनिया में दूसरी लाइन में अपराधियों ने आनंदपाल को देखकर ही कदम रखा। आनंदपाल और उसके साथियों ने ही राजस्थान पुलिस के लिए पहली लाइन खींची है। उसका साथी राजू ठेहट ही उसका सबसे चर्चित दुश्मन बना। आनंदपाल के एनकाउंटर के बाद उसके भाई विक्की और उसके साथियों ने सत्ता संभाली।

आनंदपाल और राजू ठेहट के साथी सुभाष बराल व बलवीर बानूड़ा ने भी अपनी गैंग बनाई और पुलिस के लिए परेशानी बढ़ाई। हालांकि बलवीर बानूड़ा की हत्या बीकानेर के केन्द्रीय जेल में आनंदपाल पर हुए हमले के दौरान उसकी जान बचाते समय हो गई थी।

आनंदपाल के एनकाउंटर के बाद राजस्थान में पंजाब और हरियाणा के बदमाशों ने सत्ता जमाने की कोशिशें की। इनमें पंजाब के हार्डकोर क्रिमिनल लॉरेंस बिश्नोई और हरियाणा का दुर्दान्त क्रिमिनल संपत नेहरा का नाम है। हालांकि ये दोनों हार्डकोर क्रिमिनल पुलिस के हाथ हैं।

शेखावाटी में ही पिछले पांच वर्षों के दौरान दो गैंग्स पनपी। इनमें अनिल पांडिया और अजय रिणवा गैंग शामिल हैं। दोनों में गैंगवार हुई तो अनिल ने अजय रिणवा को अपने साथी महेन्द्र गोदारा से मरवा दिया।

सलाखों के पीछे सरगना

पिछले पांच वर्षों में जो गैंगवार बदमाशों के बीच हुई, उनमें एक बड़े बदमाश की मौत हुई है। एक बड़े बदमाश आनंदपाल को पुलिस ने एनकाउंटर में मार गिराया। कई बड़े बदमाश अभी जेलों में बंद हैं, लेकिन उनके कई साथी हथियार लेकर घूम रहे हैं।

आनंदपाल के साथी सुभाष बराल ने अन्य गैंग्स से जान जाने का डर होने के कारण पुलिस से सुरक्षा मांगी। कुछ दिनों पहले सीकर पुलिस ने लोगों में से उसका भय निकालने के लिए सुभाष बराल को सीकर की सड़कों पर अकेले घुमाया था।

 

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