‘चुनावी मेंढक’ हुए सक्रिय, तलाशने लगे नए ‘ठिये’

हर चुनाव से पहले बदल लेते हैं पाला, दो-चार लाख रुपए लेकर हो जाते हैं चुप

बीकानेर। जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं, वैसे-वैसे सियासी गलियारों में गतिविधियां तेज हो रही हैं। ऐसे में ‘चुनावी मेंढक’ भी सक्रिय होकर अपने नए ‘ठियों’ की तलाश में शुरू हो गए हैं।

लगभग साढ़े तीन-पौने चार महीनों बाद होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर जहां एक ओर चुनाव मैदान में उतरने वाले प्रत्याशियों ने अपनी सियासी जमीन को मजबूत करना शुरू कर दिया है वहीं दूसरी ओर ‘चुनावी मेंढकों’ ने अपने नए ‘ठिए’ तलाशने शुरू कर दिए हैं।

हर बड़े चुनाव से पहले ऐसे ‘चुनावी मेंढक’ अपने लिए नए ‘ठियों’ की तलाश में जुट जाते हैं। इस बार भी विधानसभा चुनाव में ‘चुनावी मेंढक’ अपने बदले हुए ‘ठियों’ में नजर आएंगे।

पिछले विधानसभा चुनाव में लोग अपने जिस उम्मीदवार के साथ नजर आते थे, इस बार वे दूसरे किसी प्रत्याशी के साथ दिखाई देने की कोशिशों में लगे हुए हैं।

विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक कुछेक ने तो अपने नए ‘ठियों’ की तलाश कर ली है और उसी के अनुरूप अपनी गतिविधियां शुरू करने की तैयारी कर रहे हैं।

‘मालताल’ की खातिर इन ‘चुनावी मेंढकों’ की निष्ठा हर चुनाव में बदली नजर आती है। कभी पंजा तो कभी फूल वाले खेमों में नजर आने वाले ऐसे ‘चुनावी मेंढक’ पिछले विधानसभा चुनाव में भी अन्य राजनीतिक खेमों शामिल हो गए थे और अच्छी-खासी कमाई करने के बाद साढ़े चार वर्षों तक नजर नहीं आए।

अब फिर एक बार विधानसभा चुनाव नजदीक आते देख सक्रिय हो गए हैं। हालांकि इनके पल्ले वोटों की तादाद कम होती है लेकिन माहौल बनाने के लिए इनका साथ राजनीतिक दलों के लोग लेते दिखाई दिए हैं।

इन मुफ्तखोर लोगों का काम 24 घंटे दावेदार-उम्मीदवार, नेता-पदाधिकारी के चिपके रहना होता है। साथ ही सभाओं में जिंदाबाद सहित अपने नेता के पक्ष में नारेबाजी करना और करवाना, अफवाहें-चर्चाएं फैलाना होता है। ये ‘चुनावी मेंढक’ चुनाव के दिनों में कमाई के लिए ही नजर आते हैं।

 

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