हवा हुए राहुल गांधी के दावे, कांग्रेस में वंशवाद की बेल हरी होती नजर आ रही है। प्रदेश में बहुत दावेदार ऐसे प्रबल प्रत्याशी माने जा रहे हैं जो कांग्रेस में कद्दावर नेता के रिश्तेदार हैं। वंशवाद की हरी हो रही बेल को देख कर कार्यकर्ताओं में आक्रोश पनपता दिखाई दे रहा है।
बीकानेर। कांग्रेस में वंशवाद की बेल हरी होती जा रही है। विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आते जा रहे हैं वैसे-वैसे नेताओं के रिश्तेदार उम्मीदवार बनने की कोशिशें तेज करते जा रहे हैं। सही मायनों में कहा जाए तो नेताओं के रिश्तेदार कार्यकर्ताओं के आड़े आने लगे हैं।
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने भले ही कहा है कि कार्यकर्ताओं को अहमियत दी जाएगी, लेकिन धरातल पर ऐसा होता नजर नहीं आ रहा है। राजस्थान में बहुत से दावेदार ऐसे हैं जो पार्टी के किसी न किसी बड़े नेता के करीबी रिश्तेदार हैं और वे दावेदारी जता चुके हैं। इतना ही कार्यकर्ताओं में इन दावेदारों के प्रत्याशी घोषित होने की प्रबल संभावना के चलते आक्रोश भी पनपने रहा है।
अभी हाल ही में मध्यप्रदेश में उम्मीदवारों की जो घोषणा कांग्रेस ने की है, उनमें वंशवाद की बेल साफ दिख रही है, वैसे पार्टी ने नई नीति अपनाई थी और कहा था कि टिकट सर्वे के मुताबिक तय होगी, न कि वंशवाद के हिसाब से, पर अभी तो ऐसा नजर नहीं आया है। कांग्रेस ने मध्यप्रदेश में तकरीबन एक दर्जन ऐसे प्रत्याशी बनाए हैं जो किसी न किसी पार्टी नेता के नजदीकी रिश्तेदार हैं।
प्रदेश में यह हैं कतार में
बृजेंद्र ओला – पूर्व केन्द्रीय मंत्री शीशराम ओला के बेटे।
बृजकिशोर – स्व. नवलकिशोर शर्मा के बेटे।
वीरेन्द्र सिंह – पूर्व प्रदेशाध्यक्ष नारायण सिंह के बेटे।
दनिश अबरार – पूर्व केन्द्रीय राज्यमंत्री अबरार अहमद के बेटे।
आलोक बेनीवाल – गुजरात की पूर्व राज्यपाल कमला बेनीवाल के बेटे।
संजय पहाडिय़ा – पूर्व सीएम जगन्नाथ पहाडिय़ा के बेटे।
ओमप्रकाश पहाडिय़ा – पूर्व सीएम जगन्नाथ पहाडिय़ा के बेटे।
बनारसी मेघवाल – पूर्व मंत्री भंवरलाल मेघवाल की बेटी।
रोहित बोहरा – पूर्व मंत्री प्रधुम्न सिंह के बेटे।
प्रशांत बैरवा – पूर्व सांसद द्वारका बैरवा के बेटे।
दिव्या मदेरणा – पूर्व मंत्री महिपाल मदेरणा की बेटी।











