कांग्रेस : नए सिरे से कार्यकारी अध्यक्षों की कवायद

 एसटी, एससी, ओबीसी और अल्पसंख्यक नेताओं को अहमियत

बीकानेर। इस वर्ष के आखिर में होने वाले विधानसभा चुनाव में संगठन की मजबूती के लिए कांग्रेस खास रणनीति बना रही है। इसके तहत कांग्रेस चार कार्यकारी अध्यक्ष की नियुक्ति में जुटी है। पार्टी के आला नेता दिल्ली में इस बारे में मंथन करने में लगे हैं।

जानकारी के मुताबिक कांग्रेस ने अपनी रणनीति में थोड़ा बदलाव किया है। पहले जहां कार्यकारी अध्यक्षों के लिए सामान्य और एसटी वर्ग के नामों पर विचार किया जा रहा था, अब पार्टी ने अपनी रणनीति में कुछ बदलाव करते हुए कार्यकारी अध्यक्षों में से सामान्य वर्ग को बाहर करते हुए एसटी, एससी, ओबीसी और अल्पसंख्यक वर्ग के नामों पर मंथन करना शुरू किया है।

पार्टी के जानकार सूत्रों के मुताबिक दिल्ली स्थित पार्टी मुख्यालय में पिछले कई दिनों से इन चार वर्गों के नेताओं पर विचार-विमर्श किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि नामों का चयन करने के बाद जल्दी ही चार कार्यकारी अध्यक्षों की घोषणा कर दी जाएगी।

पीसीसी से मांगे गए थे नाम

सूत्रों के मुताबिक पार्टी ने बदली हुई रणनीति और सोशल इंजीनियरिंग फार्मूले के तहत कार्यकारी अध्यक्षों के लिए अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की ओर से प्रदेश नेतृत्व और प्रदेश प्रभारी से एससी-एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यक वर्ग के नेताओं के नाम मांगे थे। जिस पर दोनों नेताओं ने विचार-विमर्श के बाद चार वर्ग के नेताओं के नाम एआईसीसी को भेज दिए थे।  पीसीसी की ओर से भेजे गए नामों पर पार्टी के शीर्षस्थ नेता पिछले कई दिनों से मंथन करने में जुटे हैं।

परंपरागत वोट बैंक के लिए बदली रणनीति

जानकारी के मुताबिक परंपरागत वोट बैंक के लिए पार्टी ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है। दरअसल, एससी, एसटी और अल्पसंख्यक वर्ग के वोट पार्टी के परंपरागत वोट माने जाते रहे हैं। अपने परंपरागत वोट बैंक के साथ ही पार्टी ओबीसी जातियों के वोट भी अपने पाले में लाने की जुगत में है।

ऐसे में विधानसभा चुनाव में पार्टी अपने परंपरागत वोट बैंक को नाराज करना नहीं चाहती है। साथ ही इन वर्गों को कार्यकारी अध्यक्षों की नियुक्ति में अहमियत देकर, उन्हें अपने पाले में ही रखना चाहती है। वैसे भी कांग्रेस से अल्पसंख्य और एससी का एक विधायक इस बार नहीं चुना गया है।

 

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