एक गुट ने लगाए पुलिस पर मिलीभगत के आरोप
बीकानेर। वर्षों से चल रही उद्योगपतियों की कलह आज सार्वजनिक हो गई। बीकानेर व्यापार उद्योग मण्डल के चुनाव को लेकर हुए दो गुटों में से एक ने आज साधारण सभा की बैठक कर सर्वसम्मति से अपनी कार्यकारिणी घोषित कर दी। वहीं व्यापार उद्योग मण्डल की संरक्षक परिषद ने साधारण सभा में नहीं जाने देने पर पुलिस पर मिलीभगत के आरोप लगाए।
जानकारी के मुताबिक संरक्षक परिषद की ओर से हाइकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। जिस पर सुनवाई करते हुए हाइकोर्ट ने तीन महीनों में मण्डल के चुनाव करवा कर रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए थे। परिषद की ओर से मण्डल के चुनाव करवाने की तैयारी की जा रही थी।
इसी बीच उद्योगपतियों के दूसरे गुट ने आज अपने कार्यालय की बजाय जस्सूसर गेट के भीतरी क्षेत्र में स्थित माहेश्वरी भवन में साधारण सभा की बैठक आयोजित की। इस सभा में उन्हीं लोगों को प्रवेश करने दिया गया जिन्हें इस गुट की ओर से आइडी कार्ड जारी किए गए थे। जिनके पास आइडी कार्ड नहीं थे उन्हें पुलिस ने बैठक में प्रवेश नहीं करने दिया।
संरक्षक परिषद ने यह लगाए आरोप
संरक्षक परिषद के सुभाष मित्तल ने बताया कि साधारण सभा की बैठक में वे 50-60 उद्योगपतियों व व्यापारियों के साथ गए थे लेकिन वहां मौजूद नयाशहर थाने के सीआई ने उन्हें अन्दर नहीं जाने दिया। उन्हें करीब 15-20 मिनट तक बाहर ही रोके रखा गया। इस दौरान अन्दर मौजूद दूसरे गुट के लोगों ने अपनी मर्जी से कार्यकारिणी बनाकर घोषित कर दी।
अचरज की बात तो यह है कि साधारण सभा की बैठक में नवनियुक्त अध्यक्ष और सचिव मौजूद ही नहीं थे, इसके बावजूद उन्हें इन पदों पर मनोनीत कर दिया गया। इस मामले में पुलिस का व्यवहार सही नहीं रहा है। सीआई को रोकने की वजह पूछी तो उसने सीओ के निर्देश होना बताया। सीओ सदर से बात की तो उन्होंने कहा कि ऐसे कोई निर्देश मैने नहीं दिए हैं। सीओ सदर ने जब सीआई से इस बारे में बात की तो सीआई साफ तौर पर मुकर गए।
इस बारे में अतिरिक्त जिला कलक्टर (शहर) शैलेन्द्र देवड़ा को अवगत कराया गया है।
वहीं व्यापार उद्योग मण्डल के नव मनोनीत उपाध्यक्ष विष्णु पुरी ने बताया कि हाइकोर्ट में संरक्षक परिषद की ओर से लगाई गई याचिका को खारिज कर दिया गया है। नियमों के मुताबिक चुनाव से पहले मण्डल की साधारण सभा की बैठक बुलाई जाती है, जिसमें चुनाव कराने या सर्वसम्मति से कार्यकारिणी गठन करने पर चर्चा की जाती है। इस बार भी यही किया गया। साधारण सभा की बैठक में पहुंचने के लिए आइडी कार्ड जारी किए गए थे। इन उद्योगपतियों और व्यापारियों से भी इनके फोटो आइडी कार्ड के लिए मांगे गए थे, लेकिन इन्होंने उपलब्ध नहीं करवाए।
साधारण सभा की बैठक में आइडी कार्ड धारक को ही प्रवेश देने के निर्णय से अतिरिक्त जिला कलक्टर को लिखित में अवगत करा दिया गया था। ऐसे में संरक्षक परिषद से जुड़े लोगों के आरोप मिथ्या हैं।