कृषि विज्ञान केंद्रों की वार्षिक मूल्यांकन पर मंथन

तीन दिवसीय कार्यशाला आज से शुरू

बीकानेर। स्वामी केशवानन्द राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय में आज कृषि विज्ञान केंद्रों की वार्षिक मूल्यांकन कार्यशाला का आयोजन हुआ। राजस्थान, हरियाणा व दिल्ली के कृषि विज्ञान केंद्रों के 62 प्रतिनिधि इस कार्यशाला में भाग ले रहे हैं।

कार्यशाला के उद्दघाटन सत्र में विश्वविद्यालय कुलपति प्रो. बीआर छींपा, कृषि तकनीक अनुप्रयोग अनुसधान संस्थान (काजरी) जोधपुर के निदेशक डॉ. एसके सिंह, राष्ट्रीय बीजीय मसाला अनुसंधान केंद्र अजमेर के निदेशक डॉ. गोपाल लाल मौजूद रहे। तीन दिनों तक चलने वाली इस कार्यशाला में कृषि विज्ञान केंद्रों के कार्यो का मुल्यांकन करने के साथ कृषि वैज्ञानिकों द्वारा नवीन तकनीकों के माध्यम से कृषकों की आय में बढ़ोतरी करने को लेकर चर्चा की जाएगी।

इस अवसर पर विवि कुलपति प्रो. छींपा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना है कि 2022 तक किसानों की आय दोगुनी हो, लेकिन विवि चाहता है कि प्रधानमंत्री का यह सपना वर्ष-2020 में ही पूरा हो जाए। विवि इस दिशा में प्रयत्नशील है और प्रगतिशील किसानों के लिए उन्नत कृषि तकनीक विकसित करने का प्रयास कर रहा है।

कृषि तकनीक अनुप्रयोग अनुसधान संस्थान (काजरी) जोधपुर के निदेशक डॉ. एसके सिंह ने कहा की कृषि विज्ञान केंद्र किसानों की फसल को बढ़ाने के साथ ग्रामीण युवाओं को रोजगार से जोडऩे की दिशा में भी कई प्रशिक्षण चला रहा है।

उन्होंने वैज्ञानिकों का आह्वान किया कि वे किसानों की आय को दोगुना करने के लिए समेकित कृषि प्रणाली को अपनाएं क्योंकि इससे जीवन निर्वाह सुरक्षा दी जा सकती है। केन्द्रों को द्वितीयक कृषि के रुप में फसलोत्तर प्रबन्धन और उपज के मूल्य संवद्र्धन कार्यों को भी आगे बढ़ाना होगा। मधुमक्खी, मुर्गीपालन और बकरी पालन को भी प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए।

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि राष्ट्रीय बीजीय मसाला अनुसंधान संस्थान, अजमेर के निदेशक डॉ. गोपाल लाल ने कहा कि राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली के क्षेत्र में बीजीय मसालों के उत्पादन की विपुल संभावनाएं हैं। जीरा, अजवायन, कलौंजी, मैथी जैसी नकदी फसलों के प्रथम पंक्ति प्रदर्शन लेने चाहिए। किसानों के लिए बदलती जलवायु परिस्थितियों में नकदी फसलें सरलता से कम लागत और मेहनत में लाभकारी उपजें हैं।

 

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