खुले खाळै में ‘जबरी लुगाई’ ने दी चुनौती …देखें वीडियो

दो दिवसीय उछब सियाळै में जमा रंग

बीकानेर thenews.mobilogicx.com

कवि, शायर, रंगकर्मी और साहित्यकारों से सजे दो दिवसीय उछब सियाळा उत्साह के साथ मनाया गया। रचनाकारों ने अपनी प्रस्तुतियों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया वहीं अंतिम सत्र जो कि पूर्ण रूप से अनौपचारिक था।

इस तीसरे व अंतिम सत्र की खासियत यह रही कि कवि, शायर और साहित्यकारों के अलावा अन्य क्षेत्र से जुड़े लोगों ने अपनी प्रस्तुतियां भी दी। रोचक माहौल तब बना जब मदन जैरी ने जबरी लुगाई की प्रस्तुति दी।

सांसद अर्जुन मेघवाल, व्यवसायी कमल कल्ला सहित उपस्थितजनों ने मदन जैरी की प्रस्तुति को सराहा। अन्य क्षेत्रों की बात करें तो कोई वकील था, कोई पार्षद था तो कोई व्यवसायी और कोई शिक्षक था।

आयोजन से जुड़े राजेश रंगा ने बताया कि तीसरा सत्र जो पूर्णतया अनौपचारिक रहा और अपने आप में अनूठा भी रहा क्योंकि इस सत्र का नाम ही खुले खाळे हैं। जिसमें विशेष तौर से कवि शायर और साहित्यकारों के अलावा विभिन्न कलाओं से जुड़े हुए लोग और साथ ही समाज के विभिन्न वर्गों के लोग यथा जनप्रतिनिधियों वकीलों शिक्षकों समाजसेवी संस्कृतिकर्मीयों ने रंगकर्म हो या किसी भी अन्य कला से जुड़ा हुआ गणमान्य नागरिकों को इस आयोजन में अपने जग बीती आप बीती और अपने जीवन से जुड़े अपने से जुड़ी रोचक घटनाएं रोचक प्रस्तुत करते हुए आपस में साझा कर वातावरण में एक सौहार्द और आपसी समझ और आपसी संवाद कि धारा को मजबूत करने का उपक्रम करते हैं।

संस्कृति कर्मी व व्यवसायी कमल कल्ला ने बताया कि उछब सियाळै में ऐसा प्रतीत हुआ कि बीकानेरी संस्कृति जीवित हो उठी हो।

इस आयोजन में बीकानेर के सांसद अपनी रचनात्मक सहभागिता रखते हुए इस सत्र को गरिमा दी तो वहीं साहित्यानुरागी नंदकिशोर सोलंकी, पार्षद राजा सेवग, पूर्व पार्षद दुर्गादास सिंघाड़े, जेपी व्यास सहित जनप्रतिनिधि के अलावा एडवोकेट सुरेंद्र कुमार शर्मा महावीर सांखला राजेश गुप्ता इसी तरह दिल्ली से पधारे वरिष्ठ कला समीक्षक अजीत राय, नेमचन्द गहलोत, प्रदीप भटनागर बीएल मनोज संस्कृति गर्मी और समाजसेवी विद्यासागर आचार्य, एनडी रंगा, मदनगोपाल दास, शिवशंकर भादाणी, हरि नारायण आचार्य, मदनमोहन व्यास, एमएल व्यास, ऋषि कुमार अग्रवाल, कन्हैयालाल जोशी, शांति प्रसाद बिस्सा, बी.डी. भादाणी, मोतीलाल हर्ष, आत्माराम भाटी मौजूद थे।

उछब सियाळै से जुड़े कमल रंगा ने बताया कि इससे पूर्व हिंदी, उर्दू और राजस्थानी की नई कविता के साथ नगर के कवि शायरों ने कईं तरह के रंग और कविता की कई तरह की बानगी पेश कर वातावरण को कवितामय बना दिया।

रवि पुरोहित, विद्यासागर आचार्य के मुख्य आतिथ्य में कविता त्रिवेणी का आगाज शायर माजिद खान की नई गज़़ल के सुंदर शेरों से हुई- ‘ख़ुशबू तेरे बदन से जब महकती है, तुझे छुपकर तितली भी बहकती है।

राजाराम स्वर्णकार, क़ासिम बीकानेरी, कृष्णा आचार्य, कमल रंगा, बाबूलाल छंगानी, जुगल पुरोहित, हनुमंत गौड़, कैलाश टाक आदि ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत की।

दूसरा सत्र कविता कर्म एक गंभीर चुनौती विषय पर व्याख्यान में रवि पुरोहित ने बताया कि जहां एक ओर कविता कर्म की चुनौती कवि स्वयं है इसके साथ कविता के प्रति और शब्द के प्रति रचनाकार को अनुशासन भी रखना होगा।

समारोह के अध्यक्ष आलोचक कवि भवानी शंकर व्यास विनोद ने कहा कि उछब सियाळो एक नवाचार तो है ही साथ ही इसके माध्यम से साहित्य की विभिन्न विधाओं और आज प्रारंभ किया गया कवि बनाम कविता अपने आप महत्वपूर्ण है। उछब सियाळै में आगन्तुकों का आभार राजेश रंगा ने व्यक्त किया।

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