अभिभावकों को मिलेगी राहत
बीकानेर। इंजीनियरिंग और मेडिकल सहित अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करवाने वाले कोचिंग सेन्टरों के खिलाफ केन्द्र सरकार सख्त कदम उठाने की तैयारी कर रही है। इंजीनियरिंग और मेडिकल में दाखिले के लिए आयोजित होने वाली प्रवेश परीक्षा के पैटर्न में जल्द ही बड़ा बदलाव किया जाएगा।
जानकारी के मुताबिक इन प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करवाने वाले कोचिंग सेन्टरों की मनमानी पर रोक लगाने और अभिभावकों को लाखों रुपए की फीस के बोझ से बचाने के लिए केन्द्र सरकार योजना तैयार कर रही है।
बताया जा रहा है कि सरकार के पास काफी समय से अभिभावकों की शिकायतें पहुंच रही थी जिसमें सरकार को अवगत कराया गया था कि आईआईटी व मेडिकल प्रोग्राम में दाखिले की चाह में वे अपने बच्चों को लाखों रुपए की फीस देकर कोचिंग सेन्टर में दाखिला दिलवाते हैं।
आईआईटी और मेडिकल में दाखिले की तैयारी नवीं कक्षा से शुरू हो जाती है। नौंवी से 12वीं कक्षा तक अभिभावक स्कूल के साथ-साथ कोचिंग सेन्टर की फीस देते हैं, जिससे उन पर आर्थिक बोझ पड़ता है।
अभिभावकों ने अपनी शिकायतों में सरकार को यह भी बताया कि जेईई मेन, जेईई एडवांस और नीट जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं का पैटर्न बेहद जटिल हो गया है, जिसकी वजह से आम छात्र स्वयं पढ़ाई करके पास नहीं कर पाते हैं। इसी के चलते कोचिंग सेन्टरों में छात्रों और उनके अभिभावकों की मजबूरी का फायदा उठाया जा रहा है।
60 से 80 हजार रुपए सालाना वसूली जा रही फीस
जानकारी के मुताबिक यहां कोचिंग सेन्टरों की ओर से इंजीनियरिंग और मेडिकल में प्रवेश परीक्षा की तैयारी के लिए प्रत्येक विद्यार्थी से 60 से 80 हजार रुपए सालाना फीस वसूली जा रही है।
लोगों के मुताबिक ये तो सिर्फ शिक्षण शुल्क है, कई कोचिंग सेन्टर तो अन्य प्रकार की फीस भी वसूल लेते हैं। कई कोचिंग सेन्टर संचालकों ने यहां निजी स्कूलों से सम्पर्क बना रखे हैं और उन स्कूलों में विद्यार्थियों को नौवीं से 12वीं तक की कक्षाओं में दाखिले करवाते हैं।
कुल मिला कर शिक्षा के नाम पर लूट का यह खेल कई वर्षों से जारी है। हैरानी की बात तो यह है कि सरकार और प्रशासन का इन कोचिंग सेन्टरों पर किसी प्रकार का अंकुश नहीं है।