बम बन रहे हैं एलपीजी के बीमार गैस सिलेंडर

बाजार में अवधिपार गैस सिलेंडर की भरमार

बीकानेर। प्रदेश में गैस सिलेंडर फटने और गैस रिसाव के कारण होने वाले हादसों में लगातार बढ़ोतरी देखी जा रही है। वर्ष-2018 के पहले दिन से आज तक तकरीबन 200 लोग इसका शिकार हुए बताए जा रहे हैं।

गैस सिलेंडरों को लेकर बनाए गए नियमों का पूरा पालन तेल कंपनियां नहीं कर रही हैं, इसलिए तेल कंपनियां तो गैस सिलेंडर फटने से होने वाली दुर्घटनाओं के लिए जिम्मेदार हैं ही लेकिन इन सिलेंडरों को वितरण करने वाली एजेंसियां और लापरवाही बरतने वाला आमजन भी इसके लिए पूरी तरह से जिम्मेदार माने जा सकते हैं।

बाजार में अवधिपार गैस सिलेंडरों की भरमार है तथा गैस सिलेंडरों पर लगने वाला वॉल्व भी सही समय पर बदला नहीं जाता है। गैस सिलेंडरों की समय पर देखभाल नहीं होने तथा आम लोगों की ओर से इनसे छेड़छाड़ करने की वजह से गैस सिलेंडर फटने और आगजनी होने जैसी घटनाओं में लगातार बढ़ोतरी होती जा रही है।

तापमान में कमी और बढ़ने से पड़ता है असर 

जानकारी के मुताबिक गर्मियों में तापमान बढऩे और सर्दियों में तापमान में कमी  की वजह से गैस सिलेंडरों पर लगा वॉल्व खराब हो जाता है। इस वॉल्व को हर महीने बदला जाना चाहिए, लेकिन ऐसा होते नहीं देखा जा रहा है। यही कारण है कि घरों में गैस सिलेंडरों के फटने या लीकेज होने पर आग लग जाने जैसी घटनाएं बढ़ती हुई देखी जा रही हैं।

कुछ समय पहले एक-दो तेल कंपनियों ने गैस सिलेंडर के लीकेज होने से होने वाली दुर्घटनाओं में बढ़ोतरी को देखते हुए तय किया कि अब डिलेवरी मैन उपभोक्ता को डिलेवरी के बाद  सिलेंडर की सील हटाकर देखेगा कि लीकेज है या नहीं, अगर सिलेंडर में लीकेज पाया गया तो उस पर तुरन्त कार्यवाही करते हुए वॉल्व बदला जाएगा, लेकिन इन सब के बावजूद डिलेवरी मैन अपना कार्य बखूबी नहीं कर पा रहे हैं और नतीजा आमजन को भुगतना पड़ रहा है।

नहीं कर सकते खुले में डिलेवरी

जानकारी के अनुसार पिछले दिनों जयपुर में हुई खाद्य विभाग के अधिकारियों की मीटिंग में तेल कंपनियों को निर्देश दिए गए थे कि वे गैस सिलेंडरों की डिलेवरी गैस गोदाम से ही करें लेकिन गैस सिलेंडरों की डिलेवरी आज जगह -जगह पर खुले में पड़े सिलेंडरों से ही की जा रही देखी जा सकती है।

सरकार के आदेशों को कोई भी एजेंसी नहीं मान रही है और न ही आदेश निकालने के बाद खाद्य विभाग इस पर कोई कार्रवाई कर रहा है। यही कारण है कि इस प्रकार की दुर्घटनाओं में कमी लाना मुश्किल साबित हो रहा है।

सिलेंडरों से रिफिलिंग पड़ रही भारी

प्रदेशभर में लगातार गैस सिलेंडरों के फटने और गैस रिसाव लीकेज की वजह से आगजनी की घटनाएं होना सामने लगातार आता रहा है। इसके लिए आमजन भी पूरी तरह दोषी माना जा सकता है। थोड़े से पैसे बचाने के चक्कर में गैस सिलेंडर से रिफिलिंग की जाती है।

शादी-ब्याह के सीजन में तो गैस रिफिलिंग का खेल और भी ज्यादा बढ़ जाता है। इसके अलावा गैस सिलेंडरों को रिफिलिंग के जरिए कारों में लगी गैस किट में भी भरने का खेल भी धड़ल्ले से चल रहा है।

गैस सिलेंडरों से छेड़छाड़ सरेआम देखी जा सकती है, इसके बावजूद न तो सरकार इसे रोकने के लिए गंभीरता दिखा रही है और न ही खाद्य विभाग के अधिकारी ।

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