खुद को प्रासंगिक बनाए रखने के लिए इतने सक्रिय हुए हैं अशोक गहलोत

बीकानेर। पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत पिछले कई दिनों से ज्यादा सक्रिय नजर आने लगे हैं। उनकी इतनी सक्रियता को देखकर प्रदेश के सियासी गलियारों में तरह-तरह की चर्चाएं की जा रही हैं।

 

राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक चुनाव हारने और पार्टी में किसी बड़ी जिम्मेदारी के बगैर भी अचानक फिर से अशोक गहलोत इतने सक्रिय हो गए हैं कि वो लगातार प्रदेश के दौरे कर रहे हैं, जनसभाओं को संबोधित कर रहे हैं, प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे हैं और सोशल मीडिया पर रोज सरकार की नीतियों पर प्रतिक्रिया दे रहे हैं। जबकि गहलोत प्रदेश कांग्रेस में किसी बड़ी भूमिका में नहीं है।

 

राज्य में इन दिनों कांग्रेस की तरफ़ से सोशल मीडिया पर उनकी सक्रियता सबसे ज़्यादा नजर आती है। रोज़ाना सोशल मीडिया पोस्ट के ज़रिए भजनलाल सरकार पर निशाना साधने की बात हो या लोगों से मुलाक़ात के वीडियो शेयर करने से बनी चर्चा हो, अशोक गहलोत लगातार ख़बरों में बने रहते हैं।

 

सियासी जानकार मानते हैं कि असल में यह गहलोत की एक सोची-समझी रणनीति है। अतीत में जब वे सत्ता गंवाते थे तब पार्टी उन्हें दिल्ली में संगठनात्मक जिम्मेदारियां सौंपती थी। वो कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव रहे, कई राज्यों के प्रभारी बने, और गुजरात जैसे राज्यों के चुनावों में अहम रणनीतिक भूमिका निभाई। लेकिन इस बार विधानसभा चुनाव में हार के बाद ना तो उन्हें संगठन में कोई बड़ा पद मिला न ही कोई राष्ट्रीय जिम्मेदारी उनके पास है। ऐसे में गहलोत ने खुद को प्रासंगिक बनाए रखने के लिए राजस्थान की ज़मीन को ही अपना मैदान चुना है।

वहीं कुछ राजनीतिक जानकारों का मानना है कि प्रदेश कांग्रेस में गोविंदसिंह डोटासरा, टीकूराम जूली और सचिन पायलट लगातार पार्टी कार्यकर्ताओं के संपर्क में हैं, उनकी प्रासंगिकता का ग्राफ और वर्चस्व भी लगातार बढ़ रहा है। संगठन में बड़ी भूमिका नहीं होने और प्रदेश में वर्चस्व डगमगाने की स्थिति को भांपते हुए गहलोत ने अपनी सक्रियता को बढ़ाया और सोशल मीडिया के जरिए पार्टी कार्यकर्ताओं तक पहुंचने की कोशिश की है।

गहलोत का मकसद है कि राज्य की भाजपा सरकार को कोई राहत न मिले और वो भजनलाल सरकार के हर फैसले और हर नीति पर विपक्ष की तरफ से करारा हमला करें। वो ऐसे हर मौके को भुनाते हुए ना केवल सरकार की आलोचना करते हैं, बल्कि अपनी पिछली सरकार की योजनाओं, फैसलों और उपलब्धियों को भी सामने रखते हैं। एक ओर वो भाजपा सरकार को घेर रहे हैं दूसरी ओर अपनी सरकार के कामों को याद दिलाकर अपनी छवि को बनाए रख रहे हैं।

विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक गहलोत ने इस रणनीति को व्यवस्थित रूप देने के लिए एक निजी एजेंसी की भी मदद ली है। यह एजेंसी उनके जनसभाओं, प्रेस कॉन्फ्रेंस, जिले के दौरों और जनता से मुलाकातों की प्रोफेशनल रिकॉर्डिंग करती है। बाद में इन्हीं वीडियो क्लिप्स, रील्स और ग्राफिक्स के जरिए गहलोत सोशल मीडिया पर प्रभावी ढंग से अपनी बात रखते हैं। उनके सोशल मीडिया अकाउंट पर अब नियमित रूप से पोस्ट, विज़ुअल्स और वीडियो देखने को मिलते हैं जो खासतौर से युवाओं और डिजिटल दर्शकों को ध्यान में रखकर बनाए जाते हैं।

 

जानकारों का मत यह भी है कि गहलोत की सक्रियता को केवल व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा से नहीं जोड़ा जा सकताहै। वो पार्टी के भीतर और बाहर यह संकेत देना चाहते हैं कि भले ही उनके पास कोई औपचारिक पद न हो लेकिन वे अभी भी कांग्रेस के सबसे अनुभवी और लोकप्रिय नेताओं में हैं और भविष्य की किसी भी राजनीतिक भूमिका के लिए तैयार भी हैं।

#Kaant K.Sharma / Bhawani Joshi

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