लापता मूक बालक को ‘आधार’ कार्ड ने मिलवाया परिजनों से

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‘आधार’

मूक-बधिर था बालक, सेवा आश्रम वालों ने की कोशिश

बीकानेर। अपने परिवार से बिछड़े एक मूक-बधिर बालक को ‘आधार’ ने परिजनों से मिलवाया है। जिला बाल कल्याण समिति, सेवा आश्रम के कार्मिकों की मौजूदगी में आज कलक्टर डॉ. एनके गुप्ता ने इस बालक को उसके परिजनों को सौंपा।

जानकारी के मुताबिक 4 मार्च, 2018 को बीकानेर रेलवे स्टेशन पर एक मूक-बधिर बालक पुलिस को लावारिस हालत में मिला था। नाम-पता बताने में असमर्थ इस बालक के बारे में पुलिस ने बाल कल्याण समिति के पदाधिकारियों को सूचना दी थी।

तब बाल कल्याण समिति ने इस बालक को सुदर्शना नगर स्थित सेवा आश्रम में पहुंचा दिया था। तब से आज तक यह बालक सेवा आश्रम में ही रखा गया था।

सेवा आश्रम के कार्मिकों ने इस मूक-बधिर बालक की वहां रह रहे अन्य बालकों की तरह देखभाल की। कुछ दिनों पहले सेवा आश्रम के कार्मिक इस बालक का आधार कार्ड बनवाने के लिए इसे ले गए।

वहां इसका नाम पूछा गया तो इस मूक-बधिर बालक ने गुरुमुखी में अपना नाम लिखा। अनुवादक से जब अनुवाद कराया गया तो इसका नाम सूरजमान सामने आया। जैसे ही कम्प्यूटर पर इसका नाम, फोटो और बॉयोमैट्रिक जानकारी अपलोड की गई वैसे ही इसका नाम-पता और अन्य जानकारी सामने आ गई।

कम्प्यूटर से मिली जानकारी के मुताबिक इसका नाम सूरजमान है और यह पंजाब के फाजिल्का जिले के कोरनावाली गांव का रहने वाला बताया गया। इस पर इसके परिजनों से सम्पर्क किया गया। सूचना मिलने पर इस बालक का बड़ा भाई इसे लेने यहां आज पहुंचा।

कलक्टर कार्यालय में कलक्टर डॉ. गुप्ता ने इस बालक को उसके परिजनों को सौंप दिया। इस अवसर पर कलक्टर डॉ. गुप्ता ने ‘आधार’ कार्ड को अतिमहत्वपूर्ण बताया और बाल कल्याण समिति तथा सेवा आश्रम के कार्यों की सराहना की।

इस अवसर पर बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष वाई.के.शर्मा और सेवा आश्रम के कार्मिक मौजूद थे।

 

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