बीकानेर thenews.mobilogicx.com किसी लवारिस का दाह संस्कार हो या किसी गरीब के ईलाज की बात या दुर्घटना में घायल की मदद या फिर किसी का नगर निगम में ऐसा काम हो जो वाजिब है लेकिन आम आदमी अपनी चप्पलें घिस चुका है लेकिन नहीं हो रहा है अधिकारी टरका रहे है तो इन सबके लिए आज से नहीं करीब करीब 15- 20 सालों से एक ही नाम जहन में आता है वो आदर्श शर्मा।
पहली बार भाजपा से पार्षद बने उसके बाद पार्टी ने टिकट नहीं दी लेकिन दो बार निर्दलीय पार्षद बन गए। पार्षद बनने के बाद कोई काम पड़ा तो विधायक सिद्धि कुमारी से मिलने गए वहां के कुछ सिपहसलारों का व्यवहार नागवार गुजरा। उसके बाद आदर्श शर्मा किसी काम के लिए सिद्धि कुमारी से मिलने नहीं गए लेकिन जनता के बीच उसी तरह से सक्रिय रहे। तभी से आदर्श शर्मा ने ठान लिया था कि वे एक बार विधानसभा चुनाव में जनता के बीच जायेंगे।
यू तो आदर्श शर्मा भाजपा से टिकट के लिए आवेदन दे आए बेहद सरल तरीके से बस में बैठकर जयपुर गए और भाजपा कार्यालय में अपना बॉयोडाटा दे आए। भला ऐसे आजकल टिकट कहा मिलती है वही बीकानेर में गजेन्द्र सिंह शेखावत आए तो उन्हें भी बॉयोडाटा थमा दिया।
मतलब यहाँ आदर्श की तारीफ में कसीदे लिखना नहीं ये बताना है कि आदर्श चुनाव लड़ने की तैयारी में है । अब टिकट मिले या ना मिले आदर्श शर्मा कहते है कि वे चुनाव में अपना नामांकन दाखिल करेंगे। अगर आदर्श वाकई चुनाव तक मैदान में डटे रहते है तो निश्चित तौर पर अपने काम और जातिगत समीकरण के दम पर भाजपा के प्रयासों को पलीता लगा सकते है।












