लूणकरणसर में जाट या गैर जाट? उलझी भाजपा

चौधरी और सुराणा परिवार का लूणकरणसर में दबदबा

लूणकरणसर (thenews.mobilogicx.com)। बीकानेर का लूणकरणसर विधानसभा क्षेत्र कांग्रेस का परम्परागत गढ़ रहा है। अब तक हुए उपचुनाव समेत 16 चुनावों में से 11 बार कांग्रेस यहां से चुनाव जीतने में कामयाब रही है, जिसमें से 8 बार में से स्व भीमसेन चौधरी 6 बार विधायक बने तो दो बार उनके पुत्र वीरेन्द्र बेनीवाल दो बार जीतने में कामयाब रहे।

 

कांग्रेस के इस परम्परागत गढ़ में सेंध लगाने की तमाम कोशिशों के बाद आखिरकार भाजपा का कमल उपचुनाव माणिकचन्द सुराणा ने ही खिलाया। माणिकचन्द सुराणा जरूर चार बार चुनाव जीते लेकिन वे भी 2 बार जेएनपी से एक बार भाजपा और एक बार निर्दलीय जीते। कांग्रेस में दावेदारी को लकेर बहुत ज्यादा माथापच्ची नहीं है इसलिए उस पर बात अगले लेख में आज बात भाजपा की।

भाजपा से पिछली बार चुनाव लड़े सुमित गोदारा के अलावा भाजपा के जिलाध्यक्ष सहीराम दुसाद दावा ठोक रहे हैं वहीं देवी सिंह भाटी गुट ने प्रधान राधा सियाग का नाम रणकपुर में आगे बढ़ाया है। भाजपा की दिक्कत ये है कि जैसे ही जाट प्रत्याशी को टिकट थमाती है। माणिक चन्द सुराणा निर्दलीय ताल ठोक देते हैं। ऐसे में भाजपा का परम्परागत वोट बैंक भाजपा से छिटक कर माणिकचंद सुराणा के साथ चला जाता है जिससे सुराणा जीते या ना जीते लेकिन भाजपा की हार तय हो जाती है। thenews.mobilogicx.com

ऐसे में इस बार भाजपा का आलाकमान गैर जाट को टिकट देने पर विचार कर रह रहा है हालांकि ये जाट नेता लगातार आलाकमान को ये समझाने का प्रयास कर रहे हैं कि जाट कार्ड ही खेला जाए। इधर माणिकचंद सुराणा या उनके पौत्र सिद्धार्थ सुराणा का दावा मजबूत माना जा रहा है।

सुराणा घराने के अलावा भाजपा से प्रभुदयाल सारस्वत मजबूती से दावेदारी कर रहे हैं। हालांकि एक-दो ब्राह्मण नेता और भी भागदौड़ कर रहे हैं। 58 वर्षीय सारस्वत एक बार पंचायत समिति सदस्य रहे हैं वहीं भाजपा के जिला महामंत्री भी रहे। सारस्वत धनबल के खिलाड़ी है। साथ ही अर्जुन मेघवाल कैम्प से मदद की उम्मीद है लेकिन  राजनीति के जानकार कहते हैं कि  स्टैंड लेने की बात आती है तो अर्जुन मेघवाल की छवि को लेकर ज्यादा उजला पक्ष सामने नहीं आता है।

सहीराम दुसाद की महत्वकांक्षा किसी से छिपी नहीं है जुगत बैठाने में भी वे माहिर माने जाते हैं। इधर देवी सिंह भाटी कैम्प ने नया नाम आगे बढ़ाकर बैठे-बैठाए बेचारे सुमित गोदारा के लिए मुश्किल खड़ी कर दी। सुमित गोदारा लगातार जनता के बीच जा भी रहे थे लेकिन उनकी ही पार्टी के भीतर एक ग्रुप सक्रिय रहा जिसे वे साध नहीं पाए। हालांकि ठीक-ठाक अंग्रेजी बोलने के कारण राजे से टच में भी थे लेकिन भाटी कैम्प का यूटर्न उनके सामने एक नई चुनौती है। कुल मिलाकर कहा जा सकता है लूणकरणसर में जीत तलाशने से पहले भाजपा के लिए चेहरे की तलाश ही एक बड़ी चुनौती है।

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