रक्षाबंधन और संस्कृत दिवस पर राज्यपाल ने दी शुभकामनाएं

जयपुर। राजस्थान के राज्यपाल कल्याणसिंह ने रक्षा बंधन त्योहार पर प्रदेशवासियों को बधाई एवं शुभकामनाएं दी हैं।

राज्यपाल ने अपने संदेश में कहा है कि यह त्योहार परिवार व समाज में आपसी प्रेम व सामाजिक सद्भाव को बढ़ाता है। महिलाओं के प्रति आदर एवं सुरक्षा की भावना को भी यह पर्व मजबूत करता है।

राज्यपाल ने संस्कृत दिवस पर भी शुभकामनाएं देते हुए राजस्थान प्रदेश की जनता, संस्कृत अनुरागियों एवं विद्यार्थियों का आह्वान किया है कि ग्रामं ग्रामं गच्छाम, संस्कृतशिक्षां यच्छाम के समूह उद्घोष के साथ संस्कृत को जन भाषा के रूप में प्रतिष्ठित करने में सक्रिय भागीदारी निभायें। उन्होंने कहा है कि संस्कृत दिवस, श्रावणी पूर्णिमा व रक्षाबंधन के पवित्र पर्व पर हम सभी को संस्कृत भाषा के संरक्षण एवं संवर्धन का संकल्प लेना होगा। संस्कृत से जुड़े लोगों को गांव-गांव जाना चाहिए और संस्कृत शिक्षा का प्रसार करना चाहिए। सिंह ने संस्कृत दिवस पर प्रदेशवासियों को बधाइयां एवं शुभकामनाएँ दी है।

राज्यपाल सिंह ने कहा कि सम्पूर्ण सृष्टि का विज्ञानमूलक विश्लेषण देववाणी संस्कृत में समाहित होने से यह ब्रह्माण्ड के संविधान की भाषा के रूप में प्रतिष्ठित है।

आचार्य बोधायन, वराहमिहिर,, भास्कराचार्य, चरक, वाग्भट्ट, सुश्रुत, भौतिक विज्ञानी कणाद, विमानयंत्र प्रणेता भारद्वाज, अर्थशास्त्र प्रणेता आचार्य चाणक्य तथा नाट्यशास्त्र प्रणेता भरतमुनि विज्ञान-साहित्य के दैदीप्यमान नक्षत्र हैं। इन सभी का कृतित्व सम्पूर्ण विश्व के लिए अनुपम उपलब्धियां है।

राज्यपाल सिंह ने कहा कि कपिल मुनि की तपःस्थली, महाकवि माघ की कर्मभूमि, आर्यभट्ट, ब्रह्मगुप्त जैसे वैज्ञानिक व पं. अम्बिकादत्त व्यास, पं. मधुसूदन ओझा, भट्ट मथुरानाथ शास्त्री जैसे साहित्यकारों की इस पावन मरुधरा ने प्रचुर संस्कृत साहित्य सम्पदा प्रदान की।

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