बाय इंविटेशन- लक्ष्मण राघव
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बीकानेर। चुनावी साल के मद्देनजर टिकट की टिक-टिक अब तेज होती जा रही है। कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दल इस बार टिकट चयन को लेकर बेहद सतर्क बताए जा रहे हैं। परम्परागत तौर-तरीकों वाली कांग्रेस इस बार सोशल मीडिया पर सक्रियता, जातिगत समीकरण के साथ उम्र तथा पिछला रिकार्ड सब कुछ खंगाल कर सियासी शतरंज पर अपने मोहरे उतारने की सोच रही है।
पिछले दिनों युवक कांग्रेस की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में युवाओं को अधिक टिकट की मांग उठी थी। उसके बाद अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव कृष्णा अलवारु ने 200 विधानसभा सीटों पर अलग-अलग स्क्रीनिंग की। 17 सीटों पर पर अभी ये प्रथम दृष्टया माना गया है कि युवा उम्मीदवारों की दावेदारी को गम्भीरता से परखा जाए।
बीकानेर पश्चिम, लूनकरणसर और श्रीडूंगरगढ़ से युवा उम्मीदवार को तरजीह देने की बात चल रही है। संजय आचार्य, आनंद जोशी तथा अरुण व्यास जैसे यूथ कांग्रेस के नेता बीकानेर पश्चिम से राहें तलाश रहे हैं तो लूनकरनसर से यूथ कांग्रेस की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में रह चुके डॉ. राजेन्द्र मुंड तो खुलकर ताल ठोक रहे हैं। दिल्ली में उनके रिश्ते भी पैठ वाले बताए जा रहे हैं। हालांकि वीरेन्द्र बेनीवाल की मजबूत दावेदारी से पार पाना इतना आसान तो नहीं है।
एक अन्य युवा नेता महिपाल सारस्वत भी दौड़ धूप कर रहे हैं। डॉ. बीडी कल्ला की काट इतनी आसान नहीं हो सकती, लेकिन ये राहुल कांग्रेस है जहाँ प्रयोग होते रहे हैं। मसलन शंकर पन्नू को लोकसभा में टिकट थमाई गई। श्रीडूंगरगढ़ में भी यूथ कांग्रेस के हरि बाना रामेश्वर डूडी के सहारे रास्ता तलाश रहे हैं तो जातिगत समीकरणों में फिट नहीं बैठने के बाद विमल भाटी भी सक्रिय हैं।
बीकानेर से कांग्रेस के चुने गए विधायकों पर नजर डालें तो डॉ. कल्ला महज 31 साल में 1980 का चुनाव जीतकर विधायक बन गए थे जब उन्हें टिकट मिली तब भी अटकलें कुछ आज की तरह सी थीं कि इतनी कम उम्र में टिकट कहां। खैर कहते हैं कि राजनीति सम्भावनाओं की कला है यहाँ कुछ भी असम्भव नहीं। कांग्रेस का युवा नेतृत्व क्या अनुभवी नेताओं पर युवाओं को वाकई तरजीह देगा या चुनाव से पहले युवाओं को जोड़ने को महज एक झुनझुना थमाया गया है ये तो टिकट की घोषणाओं के बाद ही साफ हो पाएगा।
विधायक जो 35 से पहले पहुँच गए विधानसभा
बीकानेर संभाग में सबसे कम उम्र में विधायक चुने जाने वालों में जमीदारा पार्टी की कामिनी जिंदल 25 वर्ष की उम्र में वहीं अभिषेक मटोरिया 26 वर्ष की उम्र में विधायक बनने में कामयाब रहे हैं। सोनादेवी भी 26 साल की उम्र में विधानसभा पहुँचने में कामयाब रहीं। बीकानेर से डॉ. बीडी कल्ला के बाद मानिकचंद सुराणा 32 साल की उम्र में 1962 में कोलायत से विधायक बने। सिद्धि कुमारी 35 साल की उम्र में पहली बार विधायक बनने में कामयाब रहीं।
कांग्रेस में ये युवा-तर्क सक्रिय लेकिन टिकट अभी दूर…
कुछ युवा नेता कांग्रेस में खासे सक्रिय नजर आ रहे हैं यहां तक कि भीड़ एकत्र करने से लेकर बड़े नेताओं के इलेक्शन मैनेजमेंट की जिम्मेदारी भी अपने कंधों पर लिए हुए हैं लेकिन फिलहाल टिकट के समीकरण इनके पक्ष में नहीं बैठ रहे हैं। कांग्रेस के शिवलाल गोदारा, वीरेन्द्र बेनीवाल गुट में पैठ बनाए हुए तो बिशनाराम सियाग रामेश्वर डूडी गुट में सक्रिय नजर आ रहे हैं। शब्बीर अहमद, आत्माराम तरड़ को ऐसे ही युवा नेताओं में शुमार किया जा सकता है।