पॉलिटिकल फ्लोर मैनेजमेंट के महारथी ….

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बीकानेर thenews.mobilogicx.com कहते हैं एक नेता की सफलता में उसकी किचन कैबिनेट का अहम् योगदान होता है। सोशल मीडिया के युग में ये जिम्मेदारी पहले से ज्यादा महत्वपूर्ण हो गई है। अब नेताजी पर होने वाले सोशल मीडिया पर व्यंग्य, दुष्प्रचार से निपटने से लेकर रैलियों के आयोजन और कार्यक्रमों की सफलता सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी भी काफी कुछ परामर्श मण्डली पर निर्भर करती है। यूं तो प्रत्येक नेता कि फ्लोर मैनेजमेंट टीम में ऐसे लोगों की संख्या पांच से सात होती है लेकिन प्रत्येक कैम्प के एक चेहरे को लेकर ये माना जाता है कि ‘मास्टर कीÓ ये ही है। आज के इस आलेख में आपको मिलवा रहे हैं ऐसे ही फ्लोर मैनेजमेंट के महारथियों से…..

रामकिशन आचार्य- देवी सिंह भाटी कैम्प के महारथी

 

सकारात्मक- वरिष्ठ, दबंग, बेहद चालाक
नकारात्मक- बड़बोले और अपने कैम्प का ही आरोप कि अपने हित को प्राथमिकता।

लम्बे अर्से से देवी सिंह भाटी के साथ जुड़े हैं, भाटी भी पूरा मान देते हैं। सरपंच और जिलाध्यक्ष रहने के बाद भी पहचान के लिए देवी सिंह भाटी का नाम अहम्। भाटी परिवार के बेहद खास। अधिकारियों के यहां एक जमाने में बकायदा ये संदेश पहुँचाया जाता था कि भाटी साहब तक मैनेजमेंट का जरिया रामकिशन आचार्य ही है। लगातार साथ लम्बे अर्से से बना हुआ। भाटी ने भी वफादारी का खूब पुरस्कार दिया। जिलाध्यक्ष बनवाया वहीं जब भी कोई राजनीतिक नियुक्ति का नाम मांगा गया तो एक नाम भाटी कैम्प ने रामकिशन आचार्य का ही दिया। पुत्र अभी उपमहापौर है। हालांकि भाटी खेमे में ही इनके विरोधियों की बड़ी संख्या है। टीम बनाने में भरोसा कम है अकेला चलो की नीति पर काम करते हैं।

 

बिशनाराम सियाग- रामेश्वर डूडी कैम्प के महारथी

सकारात्मक- युवा, विनम्र, चालाक
नकारात्मक- अपने ही कैम्प में सजातीय विरोधी

प्रतिपक्ष नेता रामेश्वर डूडी की सोशल मीडिया में उपस्थिति से लेकर चुनावी रैलियों के प्रबंधन में बिशनाराम की अहम भूमिका रहती है। अपने भाइयों के सहारे सोशल मीडिया का वार रूम संभालते हैं। डूडी की रैली के लाइव से लेकर ग्राउंड फीडबैक पहुँचाने का काम करते हैं। डूडी का भरोसा भी है यही वजह रही कि जिला प्रमुख उप चुनाव में डूडी ने कांग्रेस का प्रत्याशी भी बनाया लेकिन बात नहीं बनी। पढ़े-लिखे युवाओं से बेहतर कनेक्टिविटी हालांकि हनुमान बेनीवाल गैंग खफा। टीम वर्क के साथ काम करने में भरोसा।

अशोक भाटी- केन्द्रीय मंत्री अर्जुन मेघवाल के प्रवक्ता, लेकिन खुद की भी पहचान

सकारात्मक- युवा, तेज तर्रार, बेबाक
नकारात्मक- अत्यधिक जुगाडू

अर्जुन के सच्चे मायने में हितैषी। तर्क क्षमता में इतने माहिर कि अत्यधिक जातिवाद के आरोप के बावजूद अर्जुन मेघवाल का बेहतरी से बचाव तो सफेद झूठ के बावजूद विधायक किशनाराम नाई के ऑडियो वायरल में माहौल को एक तरफा होने से बचाया। मीडिया मैनेजमेंट ऐसा कि कई बार बीकानेर के अखबारों से लेकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की हैडलाइन इन्हीं की खुरापात होती। जिस नेता के जब तक साथ रहते हैं बेहद वफादार लेकिन जब यूटर्न लेते है तो नेता को समझ आए तब तक कम-से-कम प्रचार का खेल खत्म कर चुके होते हैं। एक युवा राजपूत नेता से दोस्ती के बावजूद कई खेमों में एंट्री।

पवन महनोत- महावीर रांका कैम्प के रणनीतिकार

सकारात्मक- युवा, धनवान, साइलेंट किलर
नकारात्मक- जरुरत से ज्यादा स्मार्टनेस

दरअसल पवन महनोत को महावीर रांका का ब्रांडमेकर कहा जा सकता है, हालांकि अत्यधिक प्रचार के चलते रांका कैम्प की कुछ बातें खिलाफ भी गई। लेकिन ये सच है कि आज दूसरे बड़े नेता भी महावीर रांका के मॉडल की नकल कर रहे है। पवन महनोत रांका के साथ साए की तरह रहते और बेहद मेहनती हैं। खास बात ये है कि बीकानेर की सियासत में प्रचार के सभी नए साधनों को लांच करने वाले महनोत ही रहे। सीधा कहीं दखल नहीं, लेकिन रांका की ना के बाद भी यदि हाँ की गुंजाइश बचती है तो महनोत ही विकल्प है। अच्छा खासा खुद का व्यवसाय है लेकिन यूआईटी चैयरमैन के छोटे-से-छोटे कार्यक्रम से लेकर बड़ी रैलियों के सूत्रधार ये ही होते हंै। प्रथम पंक्ति के नेताओं के सामने बेहद सरल छवि, बहुत कम बोलते हंै लेकिन सही मौके पर सभी का फीडबैक महनोत के जरिये ही रांका तक पहुँचता है। कहते हंै आदमी परखने में भी माहिर।

 

अगले अंक में ऐसे ही कुछ और महारथियों पर एक खास रपट।

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