पाकिस्तान के आर्मी चीफ कमर जावेद बाजवा ने भारत को ललकारा है। उन्होंने कहा है कि सरहद पर जो लहू बह रहा है और जो बह चुका है उसका बदला लेंगे। आर्मी चीफ ने पाकिस्तान के रक्षा दिवस पर डिफेंस डे सेरेमनी में यह बात कही है।
अपने भाषण में उन्होंने 1965 और 1971 के युद्ध का भी हवाला दिया। आर्मी चीफ खुद यह भूल गए कि भारत ने 6 सितंबर को ही पाकिस्तान को धूल चटाई थी। भारत के साथ 1965 के युद्ध की वर्षगांठ के मौके पर पाकिस्तान छह सितम्बर के दिन को रक्षा दिवस के रूप में मनाता है।
बाजवा ने अपने भाषण में कहा, ‘6 सितंबर, 1965 के युद्ध में पाकिस्तान ने दुश्मन के दांत खट्टे कर दिए थे। जंग में हर पाकिस्तानी वतन का सिपाही बना और वतन की हिफाजत के लिए सबने अपनी भूमिका निभाई। पाकिस्तानी सेना के जवान आग में कूद पड़े लेकिन मुल्क पर आंच नहीं आने दी। हमारे जवान आज भी इस जंग से प्रेरणा लेते हैं।
1965 और 1971 की जंग से हमने बहुत कुछ सीखा है। मुश्किल हालात के बाद और देश की जनता की आर्थिक मदद से हम परमाणु संपन्न देश बने। जिससे पाकिस्तान एक ना हारने वाला मुल्क बन गया।’ बाजवा ने कहा कि मुल्क के स्कूलों, इबादतगाहों, पाकिस्तान को अंदर से कमजोर और बांटने की कोशिश की गई। मगर पाकिस्तान इस मुश्किल वक्त में भी डटा रहा।
इस दौरान शायराना अंदाज में उन्होंने कहा, ‘लहू जो सरहद पर बह चुका है, लहू जो सरहद पर बह रहा है, हम इस लहू का हिसाब लेंगे।’ इस दौरान पाकिस्तान के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री भी मौजूद थे, जिन्होंने कश्मीर मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रियाएं भी दीं। उन्होंने कहा कि कश्मीर समस्या का समाधान निकाला जाना जरूरी है। दोनों नेताओं ने कहा कि क्षेत्र में शांति के लिए संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के तहत कश्मीर मुद्दे का समाधान निकालना अनिवार्य है।
उन्होंने समानता के आधार पर अन्य देशों के साथ पारस्परिक सहयोग को बढ़ावा देने की अपनी इच्छा व्यक्त की। प्रधानमंत्री इमरान खान ने इस मौके पर अपने संदेश में कहा, ‘पाकिस्तान शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व में विश्वास करता है और अपने पड़ोसियों तथा पूरे विश्व के साथ समानता के आधार पर पारस्परिक सहयोग को बढ़ावा देना चाहता है।Ó निवर्तमान राष्ट्रपति ममनून हुसैन ने कहा कि पाकिस्तान के लोगों ने जबरदस्त राष्ट्रीय एकता का नजारा पेश किया और वे दुश्मन के नापाक मंसूबों को विफल करने के लिए अपने सशस्त्र बलों के साथ खड़े रहे।











