जयपुर। राजस्थान के वन एवं पर्यावरण मंत्री गजेन्द्रसिंह खींवसर ने कहा है कि पर्यावरण प्रदूषण पर नियंत्रण का कार्य केवल केन्द्र एवं राज्य सरकारों के प्रयासों से ही संभव नही है, बल्कि पर्यावरण की प्रदूषण मुक्त करने के लिए आम अवाम को भी जनचेतना पैदा करने और इसके लिए आदर्श वातावरण बनाने हेतु आगे आना होगा।
खींवसर सोमवार को नई दिल्ली में राज्यों के वन एवं पर्यावरण मंत्रियों के सम्मेलन में बोल रहे थे। सम्मेलन की अध्यक्षता केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री ड़ॉ हर्षवर्द्धन ने की। इस मौके पर केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण राज्यमंत्री ड़ॉ महेश शर्मा भी मौजूद थे।
उन्होंने बताया कि राजस्थान सरकार ने मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के कुशल नेतृत्व और दूरदर्शी विजन से प्रदेश में वनों और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कई नवाचार किए है तथा प्रदेश में वनों का विकास और पर्यावरण की शुद्धता को बढ़ाने के लिए हरसंभव प्रयास किए जा रहे है। खींवसर ने पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के लिए केन्द्र एवं राज्य सरकारों के मध्य और अधिक बेहतर समन्वय की जरूरत पर भी बल दिया।
अपशिष्ट को बहुमूल्य उपयोगी सामग्री में बदलने (वेस्ट टू वैल्थ) संबंधी चर्चा सत्र की अध्यक्षता करते हुए खींवसर ने बताया कि राज्य सरकार ने प्रदेश में प्लास्टिक उपयोग पर प्रतिबंध लगाया है, तथा वैकल्पिक बैग्स बनाकर उनका उपयोग करने के लिए लोगों को जागरूक किया जा रहा है।
इसी प्रकार मार्बल और कोटा-स्टोन की स्लरी की समस्या का समाधान करने के लिए उनका उपयोग निर्माण सामग्री में लेने को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके लिए संगमरमर और कोटा स्टोन की स्लेरी से टाईल्स एवं इंटें आदि बनाई जा रही हे। इसके अलावा राज्य में थर्मल बिजली संयत्रों से निकलने वाली ‘फलाई-एश’ वेस्ट का उपयोग, होलो-ब्रिक्स, स्टोन, मेसेनरी एवं सड़क के कामों में लेने को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। बायोमास सरसों, जीरा एवं अन्य अपशिष्टों तथा जल प्रदूषण के मामलों में भी गंभीरता से प्रयास किए जा रहे हैं।
सम्मेलन में राजस्थान के वन एवं पर्यावरण विभाग के सचिव कुलदीप रांका, पर्यावरण सचिव राजेश कुमार ग्रोवर, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव अजय कुमार गुप्ता भी मौजूद थे।