ध्यान रखना पीएम को भी वाराणसी जाना है…

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गुजरात में एक 14 माह की बच्ची के साथ दुष्कर्म की घटना के बाद बिहार-यूपी के लोगों को लगातार निशाना बनाया जा रहा है। पुलिस के अनुसार, गुजरात के करीब छह जिले इस हिंसा से प्रभावित हो चुके हैं। यहां की फैक्ट्रियों में काम करने वाले गैर-गुजराती लोगों पर स्थानीय लोग लाठी-डंडे और पत्थर से हमला कर रहे हैं।

इस वजह से यूपी-बिहार के काफी लोग वापस घर लौट रहे हैं। हिंसा की वारदात अभी थमी नहीं है और राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गए। कांग्रेस नेता और महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष संजय निरुपम ने इस घटना को लेकर पीएम मोदी पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा, पीएम के गृह राज्य गुजरात में अगर उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश के लोगों को मार-मार कर भगाया जाएगा तो एक दिन पीएम को भी वाराणसी जाना है, ये याद रखना चाहिए। वाराणसी के लोगों ने उन्हें गले लगाया और प्रधानममंत्री बनाया था।

कांग्रेस नेता ने एक ट्वीट कर कहा, गुजरात के डीजीपी कह रहे हैं कि ‘उत्तर भारत के लोग पर्व को देखते हुए अपने घर लौट रहे हैं। उन्हें वापस जाने को मजबूर नहीं किया जा रहा है। यह एक बड़ा झूठ है। दिवाली और छठ की छुट्टियां एक महीने बाद शुरू होगी, अभी नहीं! भाजपा उन्हें वापस जाने को मजबूर कर रही है और कांग्रेस विधायक को बदनाम कर रही है। मोदी जी, इस तरह की संकीर्ण राजनीति करना बंद कीजिए। वहीं, हार्दिक पटेल ने भी गुजरात में उत्तर भारत के लोगों पर हो रहे हमले की निंदा की है। हार्दिक पटेल ने ट्वीट कर कहा, गुजरात में उत्तर भारतीयों पर हो रहे हमले की में निंदा करता हूं।

अपराधी को कठोर सजा मिले, इसके लिए पूरा देश उस पीडि़त परिवार के साथ खड़ा हैं। लेकिन एक अपराधी के कारण हम पूरे प्रदेश को गलत नहीं ठहरा सकते। आज गुजरात में 48 आईएएस और 32 आईपीएस उत्तर प्रदेश और बिहार से हैं। उत्तर भारतीयों के खिलाफ हो रहे हिंसा में शामिल होने का आरोप गुजरात क्षत्रिय ठाकोर सेना के युवको पर लगा है। इसके बाद संगठन के अध्यक्ष और कांग्रेस विधायक अल्पेश ठाकुर ने कहा कि, पांच जिलों में 25 से अधिक एफआईआर दर्ज किए गए हैं जिनमें 400 से अधिक गुजरात क्षत्रिय ठाकोर सेना के युवाओं को नामजद या गिरफ्तार किया गया है।

यह षड्यंत्र उन्हें और गुजरात क्षत्रिय ठाकोर सेना को खत्म करने के लिए है। इसके खिलाफ वे 11 अक्टूबर से ‘सद्भावना अनशन’ पर बैठेंगे। उनका अनशन तब तक जारी रहेगा, जब तक उनके संगठन के सदस्यों के खिलाफ दर्ज केस को वापस नहीं लिया जाता है।

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