थाली की झंकार के बीच मशाल जुलूस : दिया गोचर संरक्षण का संदेश

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गांधी की सर्वधर्म प्रार्थना से लेकर टैगोर के गीत तक चला गोचर-चरागाह व पर्यावरण-चेतना का 34वां वार्षिक उत्सव

युवजनों व किशोरों से सामुदायिक कामों में भागीदारी की अपील

बीकानेर। रक्षाबंधन के दिन भीनासर की गलियों और देवालयों में गोधुली के समय थाली की झंकार के बीच मशाल लिए जयकारे लगाते सामाजिक कार्यकर्ताओं ने लोगों में रोमांच भर दिया। इसके बाद मुरली मनोहर गोशाला परिसर में एकत्रित सामाजिक कार्यकर्ताओं और पर्यावरण प्रेमियों के बीच महात्मा गांधी की सर्वधर्म प्रार्थना से गोचर संरक्षण और पर्यावरण चेतना की बात का दौर शुरू हुआ जो रवीन्द्र नाथ टैगोर के गीत के साथ सम्पन्न हुआ।

भीनासर में 1984 के समय गोचर चारागाह संरक्षण को लेकर हुए आंदोलन की सफलता की 34 वीं वर्षगांठ उत्सवपूर्वक मनाई गई, जिसमें स्थानीय पर्यावरण प्रेमी उत्साह व उमंग के साथ शामिल हुए। गोचर चरागाह विकास व पर्यावरण चेतना भीनासर आंदोलन तथा राजस्थान सम्यक विकास परिषद–थार के बैनर तले आयोजित यह उत्सव दो दिन तक चला। पहले दिन रक्षा बंधन पर जागृति के प्रतीक स्वरूप थाली की झंकार तथा घर घर में दीप उजास से शुरू हुआ यह आयोजन सायंकाल 7 बजे एक जलती मशाल के साथ एक जुलूस के रूप में मुरली मनोहर गौशाला से मुरली मनोहर मंदिर तक पर्यावरण चेतना के नारे लगाते हुए पहुंचा और वापिस गौशाला परिसर में आम सभा के रूप में तब्दील हो गया।

आमसभा को संबोधित करते हुए भीनासर आंदोलन के प्रमुख कार्यकर्ता व पर्यावरणविद शुभू पटवा ने कहा कि इस आंदोलन की अनवरत्तता के लिए इतिहास को जानना, आज के किशोरों, तरुणों व युवजनों के लिए जरूरी है। उन्होंने कहा कि रचनात्मक कार्यों के लिए सबका सहयोग लेने की जरूरत हैं और युवजनों की भूमिका इन कार्यों में अधिक महत्वपूर्ण है।

बैठक की अध्यक्षता करते हुए आंदोलन के सक्रिय कार्यकर्ता घेवरचंद गहलोत ने 34 साल पहले रक्षा बंधन के दिन से शुरू इस आंदोलन की राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय पहचान कैसे मिली, इस पर प्रकाश डाला। सदा की तरह सर्व धर्म प्रार्थना से शुरू हुए इस आयोजन में गौरीशंकर गहलोत ने बताया कि पर्यावरण की रक्षा करना खुद को सुरक्षित रखने का ही एक तरीका है, जो हमें अपने जीवन में उतारना चाहिए।

जयकिशन गहलोत ने बताया कि इस आंदोलन से अन्य क्षेत्रों के लोग भी जागरूक हुए हैं और जनहित के काम शुरू हुए हैं।

इस अवसर पर सामाजिक कार्यकर्ताओं मिलन गहलोत ने समस्याओं से विचलित नहीं होते हुए जनहित के कार्यों में लगे रहने की सीख देते हुए कहा कि युवा व किशोरों की सहभागिता को बढ़ाने के लिए हमें कुछ ठोस कार्य हाथ में लेने चाहिए। दीपचंद गहलोत व रवि अग्रवाल ने कहा कि किशोरों और युवाओं से इस तरह के सामाजिक कामों में भाग लेने की अपील की। जयंत पटवा ने सामाजिक कामों में पारदर्शिता और साफ नीयत को जरूरी बताया। इस अवसर पर तोताराम नाई, रवि राजपुरोहित, रवि शर्मा, लक्ष्मीनारायण प्रजापत, बालकिशन सोलंकी, गौरीशंकर सुथार सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे। आम सभा का समापन पर गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर के गीत “देश की माटी, देश का जल, देश के घर और देश के घाट” के सामूहिक गान व गोचर व पर्यावरण संरक्षण का संकल्प तथा एक दूसरे की कलाई पर राखी बांधने के साथ संपन्न हुआ।

दूसरे दिन 27 अगस्त को आंदोलन के कार्यकर्तागण चरागाह क्षेत्रों में गये और आंदोलन की शुरुआत में 1984 में लगाये पौधे जो अब विशाल वृक्ष का रूप ले चुके हैं, सार संभाल की।

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