बीकानेर । बीकानेर की रामपुरा बस्ती निवासी दिव्यांग शिवकुमार तंवर ने यह साबित कर दिया है कि सहारा मिले तो वे तमाम बाधाओं को पार करने की हिम्मत जुटा सकते हैं। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग की अनेक कल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से आज शिवकुमार आत्मनिर्भर है व अपने बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के सुनहरे सपने साकार होते देख रहा है।
43 वर्षीय शिवकुमार के पैर बचपन में ही पोलियो के कारण खराब हो चुके थे, वह 60 प्रतिशत निःशक्त है। उसने 9वीं कक्षा उत्तीर्ण करने के बाद आत्मनिर्भर बनने की ठानी। वह छोटे-मोटे व्यापार करता रहा, पर उसकी आय अधिक नहीं हो सकी। फिर उसका विवाह हुआ, उसकी पत्नी सरला भी दिव्यांग है। उन्हें सुखद दाम्पत्य जीवन योजना के तहत विवाह हेतु सहायता राशि मिली। उसके दो पुत्र है। पति-पत्नी ने तय किया कि वे अपने बच्चों के स्वास्थ्य के साथ लापरवाही नहीं करेंगे, उन्होंने दोनो पुत्रों को समय पर पोलियो की खुराक दिलवाई व टीकाकरण करवाया।
शिवकुमार की इच्छा थी कि उसके दोनों पुत्रा उच्च शिक्षा ग्रहण कर आत्मनिर्भर बनें, पर कम आमदनी के कारण यह काम उसे यह कार्य असंभव लग रहा था। ऐसे में उसे राज्य सरकार की पालनहार योजना, सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना, मुख्यमंत्री विशेष योग्यजन स्वरोजगार योजना आदि योजनाओं के तहत सहायता दी गई। इन योजनाओं के माध्यम से आर्थिक संबल पाकर आज शिवकुमार की आंखों में विश्वास की किरण देखी जा सकती है।
शिवकुमार ने मुख्यमंत्री विशेष योग्यजन स्वरोजगार योजना के तहत 1 लाख रूपये का ऋण प्राप्त किया, जिसमें विभाग द्वारा उसे 50 हजार रूपये का अनुदान भी मिला। इस राशि से उसने किराने की दुकान खोली, अब इस दुकान से उसे अच्छी आमदनी हो रही है। इसके साथ ही पालनहार योजना के तहत उसके दोनों बच्चों को प्रतिमाह 1-1 हजार रूपये की सहायता राशि के तहत, सालाना कुल 24 हजार रूपये प्राप्त हो रहे हैं, साथ ही उन्हें 2-2 हजार रूपये की सालाना अतिरिक्त एकमुश्त राशि भी मिलती है। उसका 16 वर्षीय बड़ा बेटा नेमीचंद आईटीआई में इलेक्ट्रीशियन का कोर्स कर रहा है और वह रेलवे सेवाओं में जाना चाहता है। 12 वर्षीय छोटे बेटे पवन ने आठवीं बोर्ड की परीक्षा दी है। पति-पत्नी को सामाजिक सुरक्षा पंेशन के तहत प्रतिमाह 750-500 रूपये के तहत कुल 1 हजार 500 रूपये राशि की पेंशन भी प्राप्त हो रही है। उसका आस्था कार्ड भी बना हुआ है, जिसके तहत उन्हें बीपीएल श्रेणी के समकक्ष सभी सुविधाएं प्राप्त हो रही हैं।
शिवकुमार का सपना है कि उसके दोनों पुत्र समाज में अपना नाम रोशन करें। उनके सपनों को साकार करने के लिए वह दिन-रात मेहनत कर रहा है। वह अपने छोटे भाई द्वारा खरीदा गया ई-रिक्शा भी चलता है। इस दौरान उसकी पत्नी व बच्चे दुकान को संभालते हैं। ई-रिक्शा को उसने मोडिफाई करवाकर, उसके ब्रेक्स को हैंडल में भी लगवा लिया है, जिससे वह आसानी से उसे चला सकता है। इसके साथ ही शिवकुमार अन्य दिव्यांगों की भी हरसंभव मदद करने का प्रयास करता है। शिवकुमार की मेहनत से आज उसका पूरा परिवार अपनी मंजिल की ओर मजबूती से कदम उठा रहा है।
–शरद केवलिया
सहायक जनसम्पर्क अधिकारी, बीकानेर