सर राशन कार्ड बना दिजिए !
कभी ऐसा कहते हुए बीडीओ पवनकुमार महतो के पास आई थी यह लड़की। अब ऐसे संवर गई इस की जिंदगी।
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रांची। किसी सरकारी कार्यालय में जाकर काम करवाना कितना मुश्किल होता है, इससे कोई अनजान नहीं है। ऐसे में ब्लॉक के बड़े अधिकारी यानि के बीडीओ तक पहुंचना तो निचले तबके के लोगों को भगवान से मिलने के बराबर होता है।
लेकिन सारे अधिकारी ऐसे नहीं होते। हम आपको एक ऐसे ही अधिकारी के बारे में बताएंगे। जिनके बारे में जानकर आप भी उन्हें सैल्यूट करेंगे। ये शख्स हैं पवनकुमार महतो, जो गुमला के कामडारा प्रखंड में बीडीओ के पद पर तैनात हैं। पवनकुमार छह जुलाई को अपनी बेटी की शादी करने जा रहे हैं। आप सोचेंगे कि उनकी बेटी की शादी से हमें क्या लेना है।
उषा की मार्मिक कहानी बीडीओ पवनकुमार अपने फेसबुक पर यूं बताते हैं….
उषा…..अनाथ! अभागी और न जाने क्या-क्या कहती थी दूनिया चंद्रपुरा प्रखंड के कुरुंबा गांंव की रहने वाली उस लड़की को !!!! हाँ छोटी थी तभी किसी गंभीर बीमारी के चलते मांं बाप का साया उठ गया सर से!!! कुछ संबंधी थे सामर्थ्यवान पर शायद लड़की को दो वक्त की रोटी खिलाने का सामर्थ्य न था उनमें !!!
कोई था तो बस बेसहारा परित्यक्ता फूवा…दोनों एक-दूसरे का सहारा बनने की कोशिश करते हैं। उषा बकरियां चराती…खेतोंं में मजूरी करती….पेट भरने की कोशिश करती अपना और बूढ़ी फुआ का।
वो कहते है न जिन्दगी इतनी आसान नही होती…बूढ़ी फुआ भी अब हार रही थी और हार के ये कर्कश शब्द तीर बन कर उतरते थे उषा के सीने में !!! एक दिन फुआ ने कह ही दिया…..निकल जाओ घर से कोई मदद मिले तो ही घर लौटना नहीं तो उधर ही मर जाना!!
याद है मुझे वो दिन….साल 2014 की 30 तारीख!! आई थी वो मेरे कार्यालय कक्ष में हाथों में कागज का एक टुकड़ा लेकर!!….कुपोषित शरीर!! आंखेंं खोढ़र में धंसी हुई!! फटे पुराने कपड़े!! डबडबाई आंखों से कुहकती आवाज में बोली….सर एक राशन कार्ड बना दीजिये न?…. कागज के टुकड़े से कहीं ज्यादा फरियादी थी उसकी आंखें!
मीटिंग में था…कहा बाहर इंतजार करो मिलता हूँ तुमसे!…चार बजे तक मीटिंग चलती रही, मैं उसे भूल भी गया। एक सहकर्मी ने याद दिलाया….सर, वो आपसे मिलने आई थी!…मैंने कहा….अरे हांं, बुलाओ उसे….मुझे आज भी याद है….मेरे सहकर्मी ने निराशा भरे शब्दों में बतलाया था…बहुत देर इंतजार किया सर उसने! रोते-रोते आई थी और रोते-रोते चली गयी…यह बात चुभ सी गयी मुझे….पछतावे और दुःख ने रात की मेरी नींद छीन ली।
अगले दिन अहल सुबह उसके घर की ओर चल पड़ा…सहकर्मी से पता मिल गया था मुझे! बकरियाँ चराती मिली थी वो मुझे अपनी झोपड़ी के आगे! बेबस थकी हुई…हारी हुई…चलती फिरती जिंदा लाश! सोचा क्या करूं…क्या न करूं ! जिस उम्र वर्ग की थी कोई सरकारी योजना का लाभ भी नहीं दे सकता था! कुछ आश्वासन न दे सका…बस विचारों का झंझावात लिए लौट रहा था मैं!! सुकून गायब…आंखों के सामने वही मायूस फरियादी चेहरा!
अपनी विवशता और कुछ न कर पाने के मलाल को साझा किया था फेसबुक पर…टिप्पणियां आईं…चुनौती के रूप में…व्यंग्य के रूप में…सुझाव के रूप में!! अब फैसला लेने की घड़ी थी! विचार आया…क्यों न गोद ले लूँ…उसके जीवन की सारी जरूरतों को पूरा करूंं! फिर यह शंका मन में…मेरा भी परिवार हैं…बच्चे हैं…जिम्मेवारियांं हैं…क्या मेरी अर्धांगिनी स्वीकार कर पाएगी उसे !!
सच मै भाग्यशाली निकला! परिवार ने मेरा साथ दिया! अगले दिन सार्वजनिक रूप से गोद लेने का फैसला किया…और लिया भी ! दुनिया है…अक्सर घटनाओं की अपने ढंग से व्याख्या करती है…पैसा है तो उड़ाएगा ही…दाई चाहिए होगी ले जा रहा है…पब्लिसिटी स्टंट है भाई…अभी भावना में बहकर बोल रहा चार दिन में औकात में आ जाएगा…..और भी न जाने क्या क्या !!!
मैं अपने को सामर्थ्यवान नहींं मानता और न हूंं…लेकिन ईश्वर की कृपा से मैं ये फैसला ले सका…सच्चे मन से! आज वो मेरी बेटी है…सगी बेटी!! ईश्वर साक्षी है, मैने उसकी परवरिश में…सुख सुविधा में…लेशमात्र की भी कमी नही की। वो खुश है आज। हांं, मेरा स्वार्थ भी तो प्रतिपूरित हो रहा है…आत्मतुष्टि का स्वार्थ !!
आज मेरी बेटी बड़ी हो गयी है! हाथ पीले करने जा रहा हूँ उसके!!
अपनी बेटी #उषा
सुपुत्री स्व.भगीरथ महतो एवं स्व. सुगनीदेवी,
ग्राम : कुरुम्बा, थाना : चंद्रपुरा, जिला : बोकारो
को ब्याह रहा हूंं
चिरंजीवी #जितेंद्रकुमार
सुपुत्र स्व.धनेश्वर महतो एवं रिझनीदेवी
ग्राम पोस्ट : कैथा, थाना व जिला : रामगढ़
के साथ
विवाह की तिथि और स्थान
शुक्रवार, 6 जुलाई 2018 को
जगदीशनगर, परसोतिया, रामगढ़ कैंट में.
आप आइयेगा जरूर! आपके आशीर्वाद के बिना…आपके स्नेह के बिना…भविष्य सुखद न हो सकेगा उसका!!
इंतजार में रहूंंगा उषा की धर्ममाता श्रीमती रूबी महतो के साथ।
विनीत
सौभाग्यशाली धर्मपिता
पवनकुमार महतो
प्रखंड विकास पदाधिकारी
(यह फेसबुक पोस्ट ‘दुमका खबर’ की आईडी से मित्र अमित गोस्वामी की वॉल पर हासिल हुई)











