अब विकास अवकाश के बाद, इस्तीफे की तैयारी में

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जयपुर। 18 सितम्बर को लाभार्थी सम्मेलन होने जा रहा हैं जिसमें प्रत्येक पंचायत समिति स्तर पर पांच-पांच हजार लाभार्थियों को एकत्रित करने की योजना है। इन लोगों को लाने की जिम्मेदारी ग्राम विकास अधिकारी, पंचायत प्रसार अधिकारी और खण्ड विकास अधिकारी पर ही होती है। जबकि ये सभी गत चार दिनों से अनिश्चितकालीन अवकाश पर गए हुए हैं, जिसका सीधा सा अर्थ है कि फिलहाल विकास अनिश्चितकालीन अवकाश पर है। इतने पर ही मामला स्थिर नहीं है, अब तो पंचायत राज परिवार अवकाश की बात से ऊपर उठ गया है और इस्तीफे की पेशकश कर दी गई है, यानि अब विकास अवकाश नहीं, इस्तीफा दे रहा है।

राजस्थान पंचायती प्रसार अधिकारी संघ के प्रदेशाध्यक्ष सोहनलाल डारा ने बताया कि शनिवार को राजस्थान पंचायतीराज परिषद के घटक संगठन, राजस्थान ग्रामीण विकास सेवा, पंचायत प्रसार अधिकारी, ग्राम विकास अधिकारी संघ की बैठक में अवकाश निरस्त करने और सर्विस ब्रेक करने जैसे दमनकारी आदेशों का पंचायत समिति स्तर पर आदेशों की होली जलाकर आंदोलन को और तेज करने का निर्णय लिया गया। बैठक में सोमवार को घटक संगठनों के कर्मचारी अपनी सेवा से सामूहिक इस्तीफे संकलन के अभियान की शुरुआत कर पंचायती राज स्थापना दिवस दो अक्टूबर को पंचायती राज मंत्री को भेजने का निर्णय लिया गया है।

क्या है मामला और क्या हैं इफेक्ट

राजस्थान ग्राम विकास अधिकारी संघ के प्रदेशाध्यक्ष महावीरप्रसाद शर्मा ने बताया कि सरकार द्वारा पूर्व में किए गए लिखित समझौतों की पालना नहीं किए जाने के कारण पंचायती राज सेवा परिषद के तीनों घटक सामूहिक अवकाश पर हैं। पूर्व में हुए समझौते अंतिम परिणाम तक नहीं पहुंच सके इसलिए परिषद द्वारा सरकार से ठोस पालना की मांग की गई है एवं समझौते के अनुरूप शासकीय आदेश जारी होने तक आंदोलन जारी रहेगा। पंचायती राज सेवा परिषद की मांगों का विभिन्न कर्मचारी जन प्रतिनिधि संगठनों ने समर्थन किया है जिसके चलते 18 सितम्बर को होने वाली कार्यशालाओं व स्वच्छता ही सेवा कार्यक्रम पर भी खतरा मंडराया हुआ है।

पेंशन, पालनहार, श्रम पंजीयक, खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य बीमा, जन्म-मृत्यु पंजीयन, नरेगा भुगतान तथा स्वच्छ भारत मिशन के भुगतान अटक गए हैं जिससे आमजन में भी सरकार के प्रति रोष व्याप्त है। प्रदेशाध्यक्ष शर्मा ने बताया कि 12 हजार कर्मचारियों के सामूहिक अवकाश पर जाने से ग्रामीण क्षेत्रों में विकास पूर्णत: ठप हो चुका है। इस सम्बन्ध में पंचायत राज मंत्री राजेन्द्र राठौड़ से शुक्रवार रात को वार्ता भी हुई लेकिन कोई ठोस नतीजों पर नहीं पहुंच पाए।

ये मांगें हैं

राजस्थान ग्रामीण विकास सेवा परिषद के निरु मीणा ने बताया कि राजस्थान ग्रामीण विकास सेवा के अधिकारियों का कैडर स्ट्रेन्थन का निर्धारण करते हुए उच्चतर पदों पर पदोन्नति के अवसर उपलब्ध कराना, जो सेवा गठन के आठ वर्ष बाद भी नहीं हुई। सहायक सचिव के लिए आरआरडीएस सेवा में 25 प्रतिशत पद आरक्षित किए गए, सहायक सचिव का पदनाम बदलकर अतिरिक्त विकास अधिकारी करना व उसे राजपत्रित घोषित किया जाए एवं पंचायत प्रसार अधिकारी का पदनाम सहायक विकास अधिकारी किया जाए। ग्राम विकास अधिकारी संवर्ग का पूर्व में लिखित समझौता पांच जनवरी 1995 एवं 26 मार्च 2008 के अनुरूप वेतन विसंगति दूर कर ग्रेड पे 3600 किया जावे। ग्राम विकास अधिकारी संवर्ग का कैडर स्ट्रेन्थन किया जाकर पांच वर्षों से लम्बित पदोन्नति किया जावे। 42 डीआरडीए कार्मिकों को नियमित किया जावे। ग्राम विकास अधिकारी का चार्ज अन्य संवर्गों को दिए जाने के समस्त आदेश निरस्त किया जावे। न्यायालय निर्णय की पालना में अधिक वेतन के नाम पर की जा रही वसूली पर रोक लगाई जावे। पंचायत प्रसार अधिकारी के 368 नवीन पदों का सृजन किया जावे। सहायक सचिव के पदों पर पांच वर्षों से लम्बित पदोन्नतियां दी जावे। तीनों संवर्गों के शासन के समक्ष लम्बित मांग पत्र का निराकरण किया जावे।

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