बड़ी पार्टियों की नैया क्या इस बार फिर डुबाएंगे छोटे दल ?

0
335
Will small parties sink the boat of big parties this time again?
photo by google

कांग्रेस और भाजपा में कड़ा मुकाबला मान रहे हैं राजनीतिक विश्लेषक

इस बार कांग्रेस व भाजपा के अलावा आधा दर्जन से ज्यादा दल हैं चुनावी मैदान में

बीकानेर। विधानसभा चुनाव को लेकर गहमागहमी बढ़ती जा रही है। यहां राजनीतिक विश्लेषकों से लेकर सर्वे तक में यही कहा जा रहा है कि कांग्रेस और बीजेपी के बीच बहुत करीबी मुकाबला है। वर्ष, 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में भी यही स्थिति थी। तब दोनों दलों के वोट प्रतिशत में 1 फीसदी से भी कम का अंतर था। बहुमत के मामले में भी कांग्रेस बीजेपी से महज 27 सीट पर ही आगे थी।


वर्ष, 2018 के चुनाव में कई सीटें ऐसी थीं जहां बीजेपी एक हजार से भी कम वोटों के अंतर से हारी और उस सीट पर छोटे दलों ने हार के अंतर से ज्यादा वोट हासिल किए थे। इस बार भी यहां कई छोटी पार्टियां चुनाव में शामिल हो रही हैं। हैरानी की बात ये है कि इन पार्टियों को करीब 20 पर्सेंट तक वोट मिल जाता है। पिछली बार इनके सीटों की संख्या भी 10 से ऊपर थी। ऐसे में कहा जा सकता है कि ये छोटे दल कर सकते हैं बड़ा उलटफेर। राजस्थान में बहुजन समाज पार्टी, नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी, समाजवादी पार्टी, आरएलडी, एआईएमआईएम, आरएलपी, बीएपी, आप जैसी स्थानीय पार्टियां शामिल हैं जो हर चुनाव में अपनी मौजूदगी दर्ज कराती हैं।


पिछले विधानसभा चुनाव में इन छोटे दलों के प्रदर्शन की बात करें तो यह काफी अच्छा था। वर्ष, 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी ने अच्छा प्रदर्शन किया था, तब पार्टी के खाते में 6 सीटे आई थीं। अगर वोट प्रतिशत को देखें तो 2018 में बीएसपी का वोट प्रतिशत कुल 4 प्रतिशत था। उसने कांग्रेस को समर्थन दिया था। हालांकि बाद में उसके विधायक कांग्रेस में शामिल हो गए। जीत के अलावा उस चुनाव में पार्टी ने 22 सीटों पर विरोधियों को या तो अच्छी फाइट दी या फिर दूसरे नंबर पर रहे।
कमाल करने वाले छोटे दलों में बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी भी शामिल है। यह पार्टी वर्ष, 2018 विधानसभा चुनाव में उतरी थी और इसने 2.4 प्रतिशत वोट हासिल किया था। पार्टी को तीन सीटों पर जीत मिली थी। पिछली बार यह पार्टी 57 सीटों पर उतरी और हर सीट पर औसत उसे 16 हजार वोट मिले, जो बसपा से ज्यादा था।


भारतीय आदिवासी पार्टी ने बीटीपी से अलग होकर बनी थी। नई पार्टी का गठन बीटीपी के दोनों विधायकों ने मिलकर किया है। बीटीपीपी ने वर्ष, 2018 विधानसभा चुनाव में 11 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे और 2 पर जीत दर्ज की थी। हालांकि दोनों ने बाद में बीएपी बनाई। यहां सीपीआई और सीपीएम ने वर्ष, 2018 में 28 उम्मीदवार उतारे थे। पार्टी दो सीटें जीत पाई थी। इस बार भी असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एमआईएम ने 40 विधानसभा सीटों पर लडऩे का फैसला किया है। आम आदमी पार्टी भी इस बार चुनाव मैदान में है। इन सबसे अलग अजय चौटाला की पार्टी जेजेपी और एकनाथ शिंदे गुट के कार्यकर्ता भी मैदान में हैं। जो कुछ न कुछ वोट डायवर्ट करेंगे।

#KAMAL KANT SHARMA / BHAWANI JOSHI www.newsfastweb.com

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here