थम गया चुनावी शोर, अब सिर्फ डोर टू डोर हो सकेगा प्रचार, नहीं हो सकेंगे सार्वजनिक सभा या जुलूस
उल्लंघन करने पर दो वर्ष का कारावास या जुर्माना अथवा दोनों सजा साथ भी
बीकानेर। चुनाव प्रचार का शोर थमने के बाद निर्वाचन आयोग की ओर से मतदान दिवस तक गाइडलाइन जारी की गई है। इन 48 घंटों में कोई गाइडलाइन का उल्लंघन करता है तो उसे जेल जाना पड़ सकता है। निर्वाचन आयोग की ओर से लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा-126 के अनुसार मतदान की समाप्ति के लिए नियत किए गए समय के साथ समाप्त होने वाले 48 घंटों की अवधि 23 नवंबर की शाम 6 बजे से शुरू होकर मतदान समाप्ति अवधि 25 नवंबर को शाम 6 बजे तक प्रभावी रहेगी। इसके लिए कई दिशा निर्देश जारी किये गए है।
प्रदेश में 25 नवंबर को मतदान होगा और नतीजे 3 दिसंबर को घोषित किए जाएंगे। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार मुख्य निर्वाचन अधिकारी प्रवीण गुप्ता ने कहा कि राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार गुरुवार शाम 6 बजे समाप्त हो गया है और इसके बाद कोई सार्वजनिक बैठक या जुलूस आयोजित नहीं किया जा सकेगा।
उन्होंने कहा कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा-126 के अनुसार मतदान की समाप्ति के लिए नियत किए गए समय के साथ समाप्त होने वाले 48 घंटों की अवधि 23 नवंबर की शाम 6 बजे से शुरू होकर मतदान समाप्ति अवधि 25 नवंबर को शाम 6 बजे तक प्रभावी रहेगी। इसके लिए कई दिशा निर्देश जारी किये गए है।
ये है गाइड लाइन
निर्वाचन के संबंध में कोई सार्वजनिक सभा या जुलूस न बुलाएगा, न आयोजित करेगा, न उसमें उपस्थित होगा, न उसमें सम्मिलित होगा और न उसे संबोधित करेगा। चलचित्र, टेलीविजन या वैसे ही अन्य साधित्रों द्वारा जनता के समक्ष किसी निर्वाचन संबंधी बात का संप्रदर्शन नहीं करेगा। कोई संगीत समारोह या कोई नाट्य अभिनय या कोई अन्य मनोरंजन या आमोद-प्रमोद जनता के सदस्यों को उसके प्रति आकर्षित करने की दृष्टि से, आयोजित करके या उसके आयोजन की व्यवस्था करके, जनता के समक्ष किसी निर्वाचन संबंधी बात का प्रचार नहीं करेगा। उन्होंने बताया कि कोई व्यक्ति यदि इन उपबंधों का उल्लंघन करता है तो दो वर्ष तक कारावास या जुर्माना या दोनों सजा होगी।
ये भी है जरूरी
भारत निर्वाचन आयोग ने प्रासंगिक पत्रों के माध्यम से निर्देशित किया है कि कोई भी राजनैतिक व्यक्ति जो उस निर्वाचन क्षेत्र का मतदाता या अभ्यर्थी नहीं है और सांसद या विधायक नहीं है, वह उस निर्वाचन क्षेत्र में चुनाव प्रचार समाप्त होने के पश्चात नहीं ठहर सकता। यह भी निर्देश है कि राज्य की सुरक्षा कवच प्राप्त राजनैतिक व्यक्ति (अभ्यर्थी से भिन्न) यदि निर्वाचन क्षेत्र में मतदाता है तो वह अपने मताधिकार का उपयोग करने के बाद क्षेत्र में आवाजाही नहीं करेगा।
इन निर्देशों की पालना निर्वाचन मशीनरी एवं पुलिस प्रशासन द्वारा सुनिश्चित करने के निर्देश आयोग ने दिये हैं। जिसमें सामुदायिक केन्द्रों, धर्मशालाओं आदि जहां पर बाहरी व्यक्तियों को ठहराया जाता है उनकी निगरानी करने, गेस्ट हाऊस/लॉज/होटलों में ठहरने वाले व्यक्तियों की जानकारी/सत्यापन करने, बाहर से आने वाले वाहनों पर निगरानी रखने और इसके लिए चैकपोस्ट स्थापित करने और उनकी पहचान क्या है, सत्यापन करने की कार्यवाही भी शामिल है।
#KAMAL KANT SHARMA / BHAWANI JOSHI www.newsfastweb.com