23 जुलाई को होगी अगली सुनवाई, भाजपा नेता ने राजस्थान उच्च न्यायालय में लगाई थी याचिका
बीकानेर। नगर निगम के प्राधिकृत अधिकारी द्वारा किए गए परिसीमन में मांगी गई आपत्तियों के ड्राफ्ट में अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के वार्ड नहीं बताए जाने पर राजस्थान उच्च न्यायालय जोधपुर के न्यायाधिपति दिनेश मेहता ने राज्य सरकार पर नाराजगी जाहिर की और अतिरिक्त महाधिवक्ता को बुलाकर नोटिस थमाते हुए सरकार व नगर निगम बीकानेर को तलब किया। इस मामले में अब अगली सुनवाई 23 जुलाई को होगी।
याचिकाकर्ता भाजपा नेता सुरेन्द्रसिंह शेखावत की ओर से उच्च न्यायालय जोधपुर में उपस्थित अधिवक्ता निमेष सुथार ने जानकारी दी कि याचिका में राजस्थान नगरपालिका अधिनियम-2009 की धारा-3, 6, 9 व 10 तथा राजस्थान नगरपालिका चुनाव नियम 1994 के नियम 3 व 4 के स्पष्ट उल्लंघन के आधार पर परिसीमन प्रक्रिया शुरू से शून्य करार करवाने के लिए मांग की गई है।
गौरतलब है कि बीकानेर नगर निगम के परिसीमन के लिए आपत्ति के समय अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के वार्ड नहीं बताए गए जो कि नियमों के हिसाब से आवश्यक है। न ही किसी वार्ड की जनसंख्या बताई गई है जिससे कि वार्डों के क्षेत्र के विरुद्ध धारा-9 व 10 के तहत कोई आपत्ति ली जा सके। साथ ही नगर निगम के क्षेत्र से सटते बहुत बडे भूभाग जैसे उदासर, विराट नगर, डिफेन्स कॉलोनी, वृन्दावन एन्कलेव आदि आबादी वाले क्षेत्र भी परिसीमन के बाहर रख दिए गए हैं।
उक्त सम्बन्ध में कई मांग पत्र भी विभिन्न संस्थाओं की ओर से दिए गए लेकिन प्राधिकृत अधिकारी की ओर से कोई आश्वासन न मिलने और पूर्व के चुनावों में भी इस तरह की आपत्तियों को दरकिनार करने की निगम की प्रवृत्ति को देखते हुए उच्च न्यायालय की शरण ली गई।