प्रशासन लूट रहा वाहवाही, सामाजिक संस्थाएं दिल खोल कर जुटी हैं सेवा में
बीकानेर। लॉक डाउन के दौरान भोजन पैकेट्स का वितरण वंचितों तक नहीं होने के आरोप प्रशासन पर लगाए जाने लगे हैं। जरूरतमंद लोग अभी भी भोजन पैकेट्स के इंतजार में इधर-उधर सम्पर्क करते नजर आ रहे हैं।
न्यूजफास्ट वेब को मिली जानकारी के अनुसार प्रशासन की भोजन वितरण प्रणाली पर लोगों ने सवाल खड़े किए हैं। लोगों के अनुसार सामाजिक संस्थाएं तो दिल खोल कर सेवा कार्य में जुटी हुई हैं लेकिन उनकी ओर से दिए गए भोजन पैकेट््स को जरूरतमंदों तक पहुंचा पाने में प्रशासन नाकाम साबित हो रहा है। भोजन पैकेट्स वितरण कार्य से जुड़े ज्यादातर सरकारी कर्मचारी अपने जानकारों को भोजन पैकेट्स वितरित कर अपनी बला टालने में जुटे हुए हैं।
पुलिस लाइन चौराहा क्षेत्र में रहने वाले एक जागरूक नागरिक ने बताया कि कल यानि रविवार रात को करीब साढ़े आठ बजे वहीं चौराहे पर स्थित दूध डेयरी बूथ पर गया था, उसी दौरान नगर निगम की पिकअप गाड़ी वहां आई और वहां मौजूद दो-तीन जनों को भोजन के पैकेट पकड़ा दिए और आगे रवाना हो गई। जबकि एमएस हॉस्टल के पीछे रहने वाले, सुभाषपुरा क्षेत्र में लालगढ़ स्टेशन के पास रहने वाले काफी लोग जरूरतमंद हैं, लेकिन उन तक भोजन के पैकेट्स नहीं पहुंचाएं जा रहे हैं।
इसी प्रकार बल्लभ गार्डन में रह रहे कुछ श्रमिकों तक भी भोजन के पैकेट्स नहीं पहुंचे तो वहां रहने वाले एक जागरूक नागरिक ने न्यूजफास्ट वेब को कॉल करके जरूरतमंद श्रमिकों को भोजन के पैकेटस भिजवाने का निवेदन किया। इस कॉल पर न्यूजफास्ट वेब की ओर से वन्दे मातरम मंच के संयोजक विजय कोचर से सम्पर्क साधा गया। विजय कोचर ने तुरन्त प्रभाव से अपने संगठन के कार्यकर्ता को कॉल किया और इन श्रमिकों को राशन सामग्री भिजवाई तथा आगे भी उन्हें भोजन, चिकित्सा आदि की मदद करने का आश्वासन दिया।
इसी प्रकार हिन्दू जागरण मंच के कार्यकर्ता भी प्रशासन की ओर से बताए गए वार्डों में जाकर स्वयं भोजन पैकेट्स का वितरण जरूरतमंदों को कर रहेे हैं।
हैरानी की बात है कि प्रशासन की ओर से वार्ड के अनुसार भोजन वितरण के लिए जो नम्बर जारी किए गए हैं, उनमें से ज्यादातर तो कॉल उठाते ही नहीं है, कुछ लोग टालमटोल करके जरूरतमंद को टाल देते बताए गए हैं।
जरूरतमंदों तक भोजन पैकेटस और अन्य राहत सामग्री पहुंचाने के लिए प्रशासन को और संजीदगी बरतनी होगी अन्यथा मजदूर लोगों का पलायन जारी रहेगा और सामाजिक संस्थाओं को भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा।
Kamal kant sharma newsfastweb.com