साहित्यकार भवानीशंकर व्यास ‘विनोद’ को मिला रामरतन कोचर स्मृति पुरस्कार
बीकानेर। जिनके गुण जिन्दा हैं, वो हमेशा अमर हैं। व्यक्ति मर सकता है लेकिन व्यक्तित्व नहीं मरता। सद्भाव वाले व्यक्तित्व का स्मरण सद्भावना दिवस के रूप में मनाकर सच्ची श्रद्धांजलि है। यह कथन जैन श्वेताम्बर तपागच्छ के आचार्यश्री विजय जयानन्द सूरिश्वरजी महाराज ने आज स्वतंत्रता सेनानी रामरतन कोचर की 38वीं पुण्यतिथि पर व्यक्त किए।
समारोह के मुख्य अतिथि ऊर्जा मंत्री डॉ. बीडी कल्ला ने कहा कि स्व. रामरतन कोचर ने दलितों के उद्धार के लिए अनेक कार्य किये जिसके चलते उन्हें अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा लेकिन वे अपने दृढ़ निश्चय के चलते विचलित नहीं हुए। उन्होंने किसानों व ग्रामीणों के लिए तन,मन,धन से कार्य किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए उच्च शिक्षा राज्य मंत्री भंवरसिंह भाटी ने कहा कि इतने वर्षों बाद भी लोगों के दिलों में आज भी स्व. कोचर अपनी अमिट छवि बनाए हुए हैं। स्व. कोचर द्वारा किए गए सेवा कार्य ही उनके स्मरण को अमर बनाए हुए हैं। कार्यक्रम में महापौर सुशीला कंवर ने भी स्व.कोचर को शब्दांजलि अर्पित की। इससे पूर्व पुरस्कार समिति के जानकीनारायण श्रीमाली ने स्व. कोचर की जीवनी पर प्रकाश डाला।
स्व.रामरतन कोचर स्मारक समिति के संतोष जैन ने बताया कि स्व. कोचर की 38वीं पुण्यतिथि को सद्भावना दिवस एवं रामरतन कोचर स्मृति पुरस्कार के रूप में मनाते हुए वरिष्ठ साहित्यकार भवानीशंकर व्यास ‘विनोद’ को 21 हजार का नगद राशि के साथ श्रीफल, शॉल ओढ़ा कर प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया। समिति के डॉ. धर्मचंद जैन ने बताया कि सद्भावना दिवस पर दो विशेष योग्यजन को ट्राईसाइकिल, 7 महिलाओं को सिलाई मशीन तथा 37 छात्र-छात्राओं को विद्यालय पोशाक प्रदान की जाएगी।
समिति के सुमित कोचर ने बताया कि कार्यक्रम का संचालन सरोज कोचर व जितेन्द्र कोचर ने किया। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता वल्लभ कोचर ने सभी का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर जयचन्दलाल डागाए, लूणकरन छाजेड़, बसन्त नौलखा, दिलीप बांठिया, मोहन सुराना, गुमान सिंह राजपुरोहित, द्वारकाप्रसाद पचीसिया, घेवरचन्द मुशरफ, चम्पकमल सुराना, विजय कोचर, सुमन छाजेड़ए उपासना जैन, लक्ष्मण कड़वासरा सहित अनेक जनों ने पुष्पांजलि अर्पित की।