पांच वर्ष की सजा और एक लाख रुपए तक का लग सकता है जुर्माना
सेंन्ट्रल ग्राउंड वाटर अथॉरिटी ने जारी किया नोटिस
बीकानेर। प्रदेश पीने के पानी की बर्बादी अब करना अब दंडनीय अपराध हो गया है। पीने के पानी को बेकार बहाने वाले को अब 5 साल की सजा और 1 लाख तक का जुर्माना या फिर दोनों एक साथ हो सकते हैं। सेंट्रल ग्राउंड वाटर अथॉरिटी ने संबंध में नोटिस जारी किया है ।
विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक नोटिस में लिखा गया है कि भूजल दोहन कर निकाले गए पीने योग्य पानी का सदुपयोग होना चाहिए, दुरूपयोग नहीं। पानी की सप्लाई का काम करने वाले जलदाय विभाग, जल बोर्ड, स्थानीय निकाय व ग्राम पंचायत को पानी बेकार बहने से रोकने के लिए प्रयास करने होंगे। इसके लिए योजना बनानी होगी।
अथॉरिटी में रीजन के अधिकारियों का कहना है कि गाइडलाइन की पालन कराने की जिम्मेदारी स्थानीय प्रशासन की होगी। गाइडलाइन का उल्लंघन करने वालों को सजा और जुर्माना देना होगा। दोनों एक साथ ही लागू हो सकते हैं। प्रदेश में कोई भी व्यक्ति भू-जलस्त्रोत से हासिल पीने के पानी की बर्बादी नहीं कर सकेगा।
जानकारी के अनुसार नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल पानी की बर्बादी रोकने को लेकर एक याचिका की सुनवाई की थी। एनजीटी ने अथॉरिटी को इस संबंध में गाइडलाइन जारी करने के लिए कहा था। इसी के तहत जुर्माने और सजा का प्रावधान किया गया है। सेंट्रल ग्राउंड वाटर अथॉरिटी ने संबंध में नोटिस जारी किया है। पीने के पानी की बर्बादी अब करना अब दंडनीय अपराध हो गया है। पीने के पानी को बेकार बहाने वाले को अब 5 साल की सजा और 1 लाख तक का जुर्माना या फिर दोनों एक साथ हो सकते हैं।
नहरबंदी केे दिनों में बेशकीमती है पेयजल
इन दिनों बीकानेर संभाग और पास के जिलों में नहरबंदी चल रही है। इस दौरान पेयजल आपूर्ति एक दिन छोड़कर की जाएगी। ऐसे में पेयजल बेशकीमती हो जाएगा।
सामान्य तौर पर देखा जाता है कि कुछ लोग पेयजल आपूर्ति शुरू होते ही मोटर पम्प लगा कर अपने घरों या प्रतिष्ठानों के आगे छिड़काव करना शुरू कर देते हैं, जो कि साफ तौर पर पेयजल का दुरुपयोग है। नहरबंदी के दौरान भी लोगों को इसी प्रकार पेयजल का दुरुपयोग करते हुए देखा जा सकता है।
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