प्लॉट खरीदने वालों से सिर्फ पैसा वसूलना ही लग रहा है ध्येय
लोग परेशान, नहीं भरे जा रहे गड्ढे, मिट्टी का किया जा रहा अवैध खनन
बीकानेर। यूआइटी की स्वर्ण जयंती आवासीय कॉलोनी भी न्यास की अन्य कॉलोनियों की तरह बदहाल पड़ी हुई है। इस कॉलोनी में अभी तक कई मूलभूत सुविधाएं भी भूखण्ड खरीदने वालों को मुहैया नहीं करवाई गई हैं। हैरानी की बात तो यह है कि लिखित मेें जिला प्रशासन को अवगत करवाए जाने के बाद भी कॉलोनी अपनी प्रारम्भिक दशा में ही है।
गौरतलब है कि तकरीबन 11 वर्ष पहले यूआइटी ने स्वर्ण जयंती आवासीय योजना को विकसित करने की कवायद शुरू की थी। तब पहले चरण में कई दर्जन भूखण्ड आवंटित कर उनसे पैसा वसूला गया। इसके बाद सात वर्ष पहले इसी कॉलोनी में दूसरे फेज में भूखण्डों का आवंटन किया गया और उन आवंटियों से भी रुपए वसूले गए। अन्य कॉलोनियों की तरह न्यास ने इस कॉलोनी से हुई आय को अन्य विकास कार्यों में लगा दिया लेकिन इस कॉलोनी में मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं करवाई। बढ़ते शहरीकरण की वजह से यहां कई लोगों ने अपने मकान बनवा तो लिए लेकिन मूलभूत सुविधाएं नहीं होने की वजह से वहां रह नहीं सके।
आपको जानकर अचरज होगा कि इस कॉलोनी के ‘सी’ सेक्टर में 32 भूखण्डों का एक ब्लॉक तो ऐसा है जो जमीन से कई फीट नीचा है और उसमें भी गड्ढे बने हुए हैं। इस कॉलोनी में लाखों रुपए देकर भूखण्ड खरीदने वालों ने बताया कि कई बार न्यास अधिकारियों के साथ जिला प्रशासनिक अधिकारियों को लिखित में शिकायत कर यहां मूलभूत सुविधाएं मुहैया करवाने, गड्ढों को भरवाने के लिए कहा गया लेकिन जिले के प्रशासनिक अधिकारियों ने इस कॉलोनी को विकसित करने के लिए धरातल पर कोई कार्य नहीं किया है।
नगर विकास न्यास की कार्यशैली से पीडि़त हुए लोगों ने बताया कि यूआइटी सिर्फ कॉलोनियां काट कर लोगों को भूखण्ड उपलब्ध करवाकर उनसे पैसा वसूल करने का कार्य ही करती है, लेकिन कॉलोनियों में बेसिक सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं करवाती है। यूआइटी ने आज तक जोड़बीड़ आवासीय योजना, बीछवाल आवासीय योजना, एनआरआई कॉलोनी, पत्थर मण्डी, आतिशबाजी मार्केट आदि कॉलोनियों में लोगों को भूखण्ड आवंटित किए और उनसे करोड़ों रुपए की वसूली की लेकिन इनमें से एक भी कॉलोनी या व्यवसायिक योजना विकसित नहीं हो सकी है, जिसकी असली वजह यूआइटी और जिले के प्रशासनिक अधिकारियों की नाकामी ही है।
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