विधानसभा चुनाव के बाद भी आसान नहीं है राह
भाजपा का मानना है कि रिवाज नहीं राज बदलेगा
बीकानेर। मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस ने अपनी पूरी ताकत लगा रखी है। इन चुनावों का न सिर्फ लोकसभा चुनाव पर असर पड़ेगा बल्कि बीजेपी और कांग्रेस के छत्रपों का भविष्य भी तय होगा।
राजनीतिक पंडितों के अनुसार राजस्थान में चुनाव से पहले ही वसुंधरा राजे नाराज बताई जा रहीं थीं लेकिन पार्टी हाईकमान ने उनके साथ बैठकें की और अब माना जा रहा है कि परिस्थितियां सामान्य हो गईं हैं। दरअसल, चुनाव के तारीखों के एलान से पहले राजे पार्टी की यात्राओं में शामिल नहीं हुईं, जिससे यह संदेश गया कि वह कुछ मामलों पर असंतुष्ट हैं। अभी तक वसुंधरा राजे के टिकट का भी एलान नहीं हुआ है। हालांकि माना जा रहा है कि अगली सूची में उनका नाम आ सकता है।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि जमीनी स्तर पर उनकी पकड़ चुनाव में बीजेपी को लाभ पहुंचा सकती है.। अगर ऐसा हुआ तो पार्टी बहुमत के जादुई आंकड़े को भी छू सकती है। इसके अलावा पार्टी यह मान कर चल रही है राज्य में रिवाज नहीं राज बदलेगा। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले चुनाव वसुंधरा राजे के लिए क्या नया लेकर आते हैं।
कांग्रेस के छत्रपों के लिए भी राह आसान नहीं
दूसरी ओर कांग्रेस में सीएम अशोक गहलोत की अगुवाई में पांच साल तक सरकार चली। यहां हर पांच साल पर राज बदलने का रिवाज रहा है। ऐसे में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के लिए मुश्किलें आसान नहीं हैं। इसके अलावा पार्टी में कथित तौर पर गुटबाजी का भी उन्हें सामना करना पड़ सकता है। बावजूद इसके कि पार्टी और गहलोत दोनों दावा कर रहे हैं कि कांग्रेस चुनाव जीतेगी लेकिन जनता के अलावा सीएम को सचिन पायलट को भी साधना होगा। अगर पार्टी चुनाव परिणामों में बहुमत का आकंड़ा पार कर लेती है तो भी यह फैसला आसान नहीं होगा कि भविष्य में किसकी अगुवाई में राजस्थान सरकार चलेगी। ऐसे में कांग्रेस छत्रपों के लिए भी राहें आसान नहीं रहने वाली हैं।
#KAMAL KANT SHARMA / BHAWANI JOSHI www.newsfastweb.com